अनूपपुर: पर्यटन को बढ़ावा देने पवित्र नगरी अमरकंटक में वन्य जीव अभ्यारण बनाने की मांग
अनूपपुर, 8 अगस्त (हि.स.)। पवित्र नगरी अमरकंटक में वन्य जीव अभ्यारण बनाने की मांग एक बार फिर से उठी है। पुष्पराजगढ़ विधायक फुंदेलाल सिंह ने वन्य जीव अभ्यारण की मांग राज्य शासन से की है। उनका कहना है कि हरे भरे वनों से गिरे अमरकंटक की सुंदरता और यहां के प्राकृतिक सौंदर्य को देखने के लिए लोग पहुंचते हैं। अभ्यारण की शुरुआत होने से पर्यटन की गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा और स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।
मध्य प्रदेश के अनूपपुर जिले में 90 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में वन है। वहीं अमरकंटक के जंगल 8525. 810 हेक्टेयर क्षेत्रफल में फैले हुए हैं। यहां पर्याप्त मात्रा में वन संपदा है। यहां जंगली सूअर, चीतल, भालू, बंदर, लंगूर की विभिन्न प्रजातियां पाई जाती हैं। तेंदुआ, शेर तथा हाथी यहां मेहमान के रूप में आते हैं। अमरकंटक प्राकृतिक संपदा व सौंदर्य से परिपूर्ण होने के साथ ही प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है। यहां हर वर्ष 20 लाख से अधिक पर्यटक व श्रद्धालु पहुंचते हैं। सबसे अधिक संख्या श्रद्धालुओं की होती है।
जिले से भी जा चुका है प्रस्ताव
इससे पहले भी अमरकंटक में अभ्यारण को लेकर कवायद हो चुकी है। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने इसकी घोषणा की थी। इसके बाद तत्कालीन कलेक्टर चंद्रमोहन ठाकुर ने शासन को इस संबंध में पत्राचार किया था। इसके बाद से यह मामला ठंडे बस्ते में चला गया। अमरकंटक पर्यटन एवं धार्मिक स्थल के रूप में प्रसिद्ध है। इसे नई पहचान मिलने से पर्यटनों की संख्या में बढ़ोत्तरी हो सकती है।
जामवंत अभ्यारण रखे जाने की मांग
पुष्पराजगढ़ विधायक फुंदेलाल सिंह ने राज्य शासन से मांग की है कि अमरकंटक में अभ्यारण की शुरुआत जामवंत अभ्यारण नाम रखकर की जाए क्योंकि अनूपपुर जिले में भालू ज्यादातर पाए जाते हैं। यह क्षेत्र, वन, जैव विविधता से भरपूर है जहां पर्याप्त मात्रा में जंगली जानवर भी हैं, ऐसे में यदि यहां पर अभयारण बनाया जाएगा तो लोगों को रोजगार के नए अवसर प्राप्त होंगे। विधायक ने कहा कि कांग्रेस शासन काल में यहां अभ्यारण बनाए जाने का कार्य भी प्रारंभ हो गया था लेकिन सरकार बदलते ही इसे रोक दिया गया।
सर्वे के बाद ही इस बारे में कुछ कहा जा सकता है- डीएफओ
अनूपपुर डीएफओ विपिन पटेल ने कहा कि वन्य जीव अभ्यारण बनाए जाने के लिए सबसे जरूरी है जैव विविधता। उसके साथ ही पर्याप्त वन क्षेत्र। राजेंद्रग्राम वन क्षेत्र 13672 हेक्टेयर में फैला हुआ है। उन्होंने बताया कि यहां बड़े जानवर भटकते हुए पहुंचते हैं लेकिन यह उनका रहवास क्षेत्र नहीं है। अभ्यारण बनाए जाने को लेकर उन्होंने कहा कि इसके लिए सर्वे करने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है।
हिन्दुस्थान समाचार / राजेश शुक्ला

