जबलपुर: बेटी ने परिजनों को सूचना बिना कर दिया पिता का अंतिम संस्कार.. बेटा नहीं कर पाया पिता के अंतिम दर्शन
जबलपुर, 29 मई (हि.स.)। मदनमहल थाना अंतर्गत महाकौशल हॉस्पिटल में मृत उमाशंकर मिश्रा का दाह संस्कार उनकी बेटी अनुषा मिश्रा ने बिना किसी को सूचना दिए ग्वारीघाट मुक्तिधाम में ले जाकर कर दिया। उमाशंकर मिश्रा नरसिंहपुर निवासी हैं एवं महाकौशल हॉस्पिटल में किसी बीमारी की चलते भर्ती थे। यह वाक्या जिसने भी सुना वह चकित रह गया। अंतिम संस्कार के समय ग्वारीघाट मुक्तिधाम पहुंचे बेटे को अपने पिता के अंतिम दर्शन भी नहीं करने दिए गए । बेटी अनुषा मिश्रा ने उससे वहां झगड़ा करना शुरू कर दिया। श्मशान में अन्य शव यात्रा में आए लोगों को मामला कुछ समझ नहीं आया लेकिन किसी तरह जब पता चला तो लोग दंग रह गए। वहीं बेटी अनुषा मिश्रा का कहना था कि पिता की करोड़ों की संपत्ति पर किसी का अधिकार नहीं है वह सब मेरी है। बताया जाता है कि उमाशंकर मिश्रा शिक्षा विभाग से सेवा निवृत हुए थे एवं नरसिंहपुर में निवास करते थे।
नरसिंहपुर शहर के अंदर उनके नाम से करोड़ों की अचल संपत्ति है। मृतक के भाई अजय शंकर मिश्रा ने बताया की संपत्ति हड़पने के लिए उनकी बेटी ने यह सब चाल चली है। उसने सुनियोजित तरीके से कई दस्तावेजों में उनके हस्ताक्षर भी करवा लिए हैं इसलिए अस्पताल में पिता की मौत के बाद उसने किसी को सूचना भी नहीं दी और सीधे ग्वारीघाट मुक्तिधाम पहुंच गई। वहीं बेटे को पता चलने पर वह अपने चचेरे भाई के साथ ग्वारीघाट पहुंचा तो वहां उससे झगड़ा कर अंतिम दर्शन नहीं करने दिए गए एवं बेटी ने जबरदस्ती दाहसंस्कार कर दिया। शमशान में दूसरी शवयात्रा में आए लोगों ने जब वास्तविकता पता कि तो वे अचंभित हो गये। बेटे का दुर्भाग्य् देखो कि लचर तंत्र ने बेटे को अपने पिता के दर्शन करने से वंचित करा दिया। बताया जाता है कि पिता की मौत के बाद अपने चचेरे भाई के साथ उनका बेटा विवेक मदनमहल थाने पहुंचा था जहां उसने पुलिस से मदद मांगी। वहां मौजूद एक सब इंस्पेक्टर ने अस्पताल में संपर्क कर बेटी अनुषा से बात करने का प्रयास किया एवं बेटे विवेक को भरोसा दिलाया की शव् सुबह मिलेगा अभी जाओ पुलिस आपकी पूरी मदद करेगी। लेकिन पुलिस सुबह बेटे को नहीं मिली थाने से दोनों भाई को पुलिस कंट्रोल रूम भेज दिया गया।
पुलिस कंट्रोल रूम से संबंधित एसडीएम का नाम मोबाइल नंबर देते हुए कहा कि आप इनसे बात कर लो। एसडीएम से बात नहीं होने पर दोनों भाई भटककर कलेक्टर के निवास पर पहुंच गए। कलेक्टर ने एसडीएम के पास जाने के लिए कह दिया परंतु जब एसडीएम से दोबारा कोई रिस्पांस नहीं मिला तो वे दोबारा कलेक्टर के निवास पर पहुंचे। वहीं कुछ देर बाद विवेक के पास किसी तहसीलदार का फोन आया उसने कहा कि आप लोग ग्वारीघाट पहुंचे हम लोग वहां आ रहे हैं। दोनों भाई भाग कर ग्वारीघाट पहुंचे परंतु तब तक बेटी ने पिता का अंतिम संस्कार अकेले ही कर दिया था। सिस्टम की लचर व्यवस्था ने जहां एक बेटे को अपने पिता के अंतिम दर्शन करने से वंचित कर दिया वहीं कई बातों पर प्रश्न चिह्न भी खड़े कर दिए।
हिन्दुस्थान समाचार/ विलोक पाठक
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