रतलाम: सहकारिता में सहकारी विधान सर्वोपरी : सुनीलकुमार
रतलाम, 14 फ़रवरी (हि.स.)। उपायुक्त सहकारिता सुनीलकुमार सिंह ने कहा कि कर्मचारियों को संस्था के विकास का भाव रखकर कार्य करना चाहिये। सहकारिता में सहकारी विधान सर्वोपरी है, यहाँ कोई शीर्ष पर नहीं है, सबकी अपनी-अपनी भूमिका है। कर्मचारियों को प्रशिक्षण को व्यवहारिक रुप में समझना चाहिए ताकि उससे आपमें क्षमता का विकास हो और जिसका लाभ सहकारी संस्था को मिल सके।
श्री सिंह ने यह बात राष्ट्रीय सहकारी शिक्षा केन्द्र नई दिल्ली एवं जिला सहकारी संघ के तत्वावधान में आयोजित प्रशिक्षण शिविर में कही। शिविर में प्राथमिक कृषि साख सहकारी संस्था सैलाना, सरवन, शिवगढ़, बेड़दा, गराड, कांगसी के कर्मचारियों ने भाग लिया। यह तीन दिवसीय प्रशिक्षण का आयोजन सैलाना में किया गया है।
उन्होंने कहा कि केन्द्र एवं राज्य सरकार का विजन है सहकार से समृद्धि इसके अन्तर्गत पेक्स अब बहुउद्देशीय हो गई है, संस्थाओं को आत्म निर्भर बनाने के लिए जन औषधी केन्द्र, पेट्रोल पम्प, गैस एजेन्सी एवं नल-जल योजना अब सहकारी संस्थाओं के माध्यम से संचालित की जा सकेगी।
सहकारी प्रशिक्षण केन्द्र इन्दौर के पूर्व प्राचार्य के. एल. राठौर ,पूर्व प्राचार्य निरंजनकुमार कसारा ने कहा कि सहकारी साख आन्दोलन की शुरुआत भारत में 1904 से हुई तब से अब तक 95 हजार साख संस्थाएँ चल रही है, जिसमें 65 हजार सक्रिय रुप से कार्य कर रही है। सरकार का लक्ष्य तीन लाख संस्थाएँ बनाने का है।
जिला सहकारी संघ के मुख्य कार्यपालन अधिकारी अनिरुद्ध शर्मा ने कहा कि शिक्षा प्रशिक्षण से कर्मचारियों के कार्य में गुणवत्ता आती है तथा इससे संस्थाओं की कार्यप्रणाली में सुधार होता है तथा सहकारी आन्दोलन प्रगति करता है। संचालन जिला सहकारी संघ के जनसंपर्क अधिकारी पिंकेश भट्ट ने तथा आभार शाखा प्रबंधक प्रेमसिंह रावत ने माना।
हिन्दुस्थान समाचार/ शरद जोशी
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