जल स्रोतों और नदियों के उद्गम स्थलों का संरक्षण आवश्यक : मंत्री पटेल

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जल स्रोतों और नदियों के उद्गम स्थलों का संरक्षण आवश्यक : मंत्री पटेल


- जिला पंचायत एवं जनपद पंचायतों के मुख्य कार्यपालन अधिकारियों का ओरियंटेशन कार्यक्रम आयोजित

भोपाल, 8 अप्रैल (हि.स.)। पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल ने कहा कि जलगंगा संवर्धन अभियान में अंतर्गत पारंपरिक जल स्रोतों की पहचान कर उनके पुनर्जीवन के लिए पूर्व प्रयास करें। इस अभियान में मनरेगा योजना और ग्राम पंचायतों की अहम भूमिका है। उन्होंने कहा कि शहरीकरण की ओर बढ़ती ग्राम पंचायतों के लिए योजनाओं में लचीलापन हो और जमीनी हकीकत के अनुसार नीतियों में बदलाव किया जाए।

मंत्री पटेल मंगलवार शाम को भोपाल के कुशाभाऊ ठाकरे सभागार में जिला पंचायत एवं जनपद पंचायतों के मुख्य कार्यपालन अधिकारियों के प्रशिक्षण सह कार्यशाला (ओरियंटेशन कार्यक्रम) को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर अपर सचिव दिनेश जैन, एसआरएलएम की सीईओ हर्षिका सिंह, आरआरडीए के सीईओ दीपक आर्य, मनरेगा आयुक्त अवि प्रसाद सहित जिला पंचायत सीईओ और जनपद पंचायत सीईओ उपस्थित थे।

मंत्री पटेल ने कहा कि जल स्रोतों और नदियों के उदगम स्थलों के संरक्षण के लिए विशेष प्रयास करने चाहिए। भविष्य की पीढ़ियों के लिए इन स्रोतों का संरक्षण आवश्यक। सभी जनपद स्तर के अधिकारी इस दिशा में विशेष कार्य करें। उन्होंने बताया कि नरसिंहपुर जिले में मां नर्मदा के तटों की सफाई के लिए अभियान चलाकर कार्य किया जा रहा है। इसी प्रकार जिला स्तर पर उन्होंने नदियों से तटों की सफाई के लिए विशेष प्रयास करें। उन्होंने कहा कि जल संरक्षण के भौगोलिक चुनौतियां का अध्ययन भी आवश्यक है। उन्होंने कहा कि महानगरों के समीप स्थित ग्राम एवं जनपद पंचायतों को सेमी अर्बन मॉडल पर विकसित किया जाएगा।

पौधारोपण के साथ उन पौधों के संरक्षण पर भी दें ध्यान

मंत्री पटेल ने कहा कि विगत दिनों आयोजित ओरिएंटेशन कार्यक्रम के अच्छे परिणाम संवाद के रूप में सामने आए। प्रशिक्षण एवं कार्यशाला में अपनी पूर्ण तैयारी के साथ आएं। हम अपने क्षेत्र के विकास के लिए अच्छे कार्य करें। उन्होंने कहा कि पंचायत और जनपद स्तर पर विकास कार्यों की वास्तविक स्थिति पर गहन चिंतन करते हुए सभी अधिकारी आत्ममूल्यांकन करें कि क्या वे अपने कार्यों से संतुष्ट हैं और समाज में सकारात्मक परिवर्तन ला पाए हैं।

मंत्री पटेल ने कहा कि किसी भी योजना की सफलता अकेले संभव नहीं, बल्कि टीम भावना, सहयोग और सतत संवाद से ही संभव है। उन्होंने कहा कि जमीनी स्तर की चुनौतियों से सभी अधिकारी हमें अवगत कराएं, जिससे उन चुनौतियों को ध्यान में रखकर कार्य योजनाएं बनाई जा सके। पौधरोपण जैसे अभियानों में केवल पौधे लगाना नहीं, बल्कि उनकी देखभाल और जीवित रहने की जिम्मेदारी भी जरूरी है, खासकर जल स्रोतों के पास स्थानीय प्रजाति के पौधों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।

ओरियंटेशन कार्यक्रम में मनरेगा के तहत जल गंगा संवर्धन अभियान में चिह्नित प्रमुख उद्देश्यों और लक्ष्यों की जानकारी दी गई। क्षेत्र मूल्यांकन, कार्यों के प्रमुख सेटों को चिह्नित करने और प्रभाव मापने को कवर करने वाले एसआईपीआरआई टूल का उपयोग करके कार्य योजना को सुविधाजनक बनाने के बारे में विस्तार से चर्चा की गई। अमृत सरोवर, खेत तालाब, खोदे गए कुओं के पुनर्भरण कार्यों का तकनीकी पहलुओं की जानकारी दी गई। कार्यक्रम में एमपी-एसआरएलएम, पंचायत राज, प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण, स्वच्छ भारत मिशन, प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत योजना और प्रमुख हस्तक्षेपों का रोल आउट की जानकारी साझा की गई।

हिन्दुस्थान समाचार / मुकेश तोमर

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