मप्र: कांग्रेस ने की गोविंद सिंह राजपूत की उम्मीदवारी वापस लेने की मांग, कहा- एफआईआर दर्ज होना ही आरोप की प्रामाणिकता

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मप्र: कांग्रेस ने की गोविंद सिंह राजपूत की उम्मीदवारी वापस लेने की मांग, कहा- एफआईआर दर्ज होना ही आरोप की प्रामाणिकता


भोपाल, 24 अक्टूबर (हि.स.)। प्रदेश कांग्रेस मीडिया विभाग के अध्यक्ष केके मिश्रा ने प्रदेश के राजस्व और परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत द्वारा उनके निर्वाचन क्षेत्र में सर्वाधिक वोट दिलाने वाले पोलिंग बूथ को 25 लाख रुपये दिये जाने का वीडियो वायरल होने के बाद दर्ज उनके विरूद्ध एफआईआर पर कहा कि यह एफआईआर एक मंत्री द्वारा आदर्श आचार संहिता के विरूद्व सीधी चुनौती से जुड़ा मामला है। उस स्थिति में जब भाजपा सरकार के निर्वाचन आयोग द्वारा चुनाव खर्च की सीमा 40 लाख रुपये निर्धारित की गई है, तब एक ही पोलिंग बूथ को 25 लाख रूपये की लालच दिये जाने से जुड़ा मामला सीधे तौर पर भ्रष्ट आचरण अपनाने की परिधि में आता है। लिहाजा, भाजपा को चाहिए कि वह राजपूत की उम्मीदवारी वापिस ले?

केके मिश्रा ने मंगलवार को पत्रकारवार्ता में कहा कि ऐसा ही आचरण भाजपा के ही राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने अपनाया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि जिस पोलिंग बूथ पर कांग्रेस को एक भी वोट नहीं मिलेगा, उसे 51 हजार का ईनाम दिया जायेगा। उनके इस बयान पर चुनाव आयोग ने स्वतः संज्ञान लेकर जिला निर्वाचन आयोग से जानकारी एकत्र की है, किंतु एक सप्ताह से अधिक समय व्यतीत हो जाने के बाद भी अभी तक कोई असरकारक कार्यवाही दिखाई क्यों नहीं दी?

केके मिश्रा ने निर्वाचन आयोग से आग्रह किया है कि वह अपनी निष्पक्ष कार्यशैली प्रदर्शित करते हुये इन दोनों की मामलों पर गंभीरता से संज्ञान ले, ताकि आदर्श आचार संहिता का ईमानदारीपूर्वक दिखाई देने वाला परिपालन हो सके।

क्या सरकार आमला से कांग्रेस प्रत्याशी घोषित होने का इंतजार कर रही थी

केके मिश्रा ने निशा बांगरे के त्यागपत्र को भी राज्य सरकार द्वारा स्वीकार करने के आदेश पर कहा कि जिस तरह सरकार ने निशा बांगरे को मानसिक प्रताड़ना दी है, वह एक अक्षम्य अपराध के रूप में दर्ज होगा। उन्होंने यह भी प्रश्न उठाया कि जब न्यायालय के आदेश पर उनके इस्तीफे पर सोमवार को ही निर्णय लेना था और निर्णय ले भी लिया गया तो उसे आज सार्वजनिक करने का औचित्य, षड्यंत्र और दुर्भावनापूर्व रवैया सरकार की किस परिधि में आता है? क्या सरकार आमला से कांग्रेस प्रत्याशी घोषित होने का इंतजार कर रही थी? जब निशा बांगरे ने यह घोषित ही नहीं किया था कि मैं किस पार्टी की ओर से चुनाव लडूंगी, तब सरकार को उनसे इतना खतरा क्यों था?

हिन्दुस्थान समाचार/ नेहा/मुकेश

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