रतलाम : सहकारिता आंदोलन सेवा का आंदोलन है इसे आयकर सहित अन्य करों से मुक्त रखा जाय : शरदजोशी

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रतलाम : सहकारिता आंदोलन सेवा का आंदोलन है इसे आयकर सहित अन्य करों से मुक्त रखा जाय : शरदजोशी


रतलाम, 5 जुलाई (हि.स.)। सहकारी संस्थाओं को आयकर सहित सभी प्रकार के करो से मुक्त रखा जाना चाहिए। सहकारी आंदोलन मूल रूप से सेवा का आंदोलन है। इसमें होने वाला लाभ भी जनहित में ही उपयोग होता है। ऐसे में यदि इसे कर मुक्त रखा जाता है तो यह और अधिक उन्नति करेगा।

उक्त विचार वरिष्ठ सहकारी नेता एवं वरिष्ठ पत्रकार शरद जोशी ने सहकारिता विभाग एवं जिला सहकारी संघ रतलाम द्वारा अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता दिवस के अवसर पर आयोजित सहकारी सेमिनार में मुख्य अतिथि के रूप में व्यक्त किये। श्री जोशी ने कहा कि वर्तमान में सहकारी संस्थाओं में निर्वाचन न होने से उनका लोकतांत्रिक ढांचा कमजोर हो रहा है जो सहकारी आंदोलन के हित में नहीं है ।

सहकारिता को आगे बढ़ाने के लिए सहकारिता के मूल सात सिद्धांतों को आत्मसात करके इन संस्थाओं का संचालन करना होगा तभी यह आंदोलन सफल हो सकेगा।

सहकारिता में अपार संभावनाएं हैं इसके माध्यम से हम देश व दुनिया को आर्थिक व सामाजिक ढांचे को मजबूत कर सकते हैं । कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ सहकारी नेता सूर्यनारायण उपाध्याय (छोटू भाई ) ने कहा कि हम 1975 से कर्मचारी साख संस्था को कैशलेस पद्धति से चला रहे हैं । शहरी साख संस्थाओं को कम ब्याज दर पर ऋण वितरण करना चाहिए। सिर्फ उतना ब्याज लिया जाना चाहिए जिससे संस्था हानि में न जाए। सहकारिता में लाभ और सेवा का संतुलन होना चाहिए ।

जिला सहकारी संघ के मुख्य कार्यपालन अधिकारी अनिरुद्ध शर्मा ने कहा कि सहकारी आंदोलन भारत की संस्कृति व भारत की मिश्रित अर्थव्यवस्था के अनुरूप काम करता है। सहकारी आंदोलन ही ऐसा माध्यम हो सकता है जो अमीरी व गरीबी की खाई को कम कर सकता है। इसी से हम बेहतर विश्व का निर्माण कर सकते हैं। श्री शर्मा ने अंतरराष्ट्रीय सहकारिता दिवस के अवसर पर सभी का आयोजक संस्था की ओर से स्वागत किया।

कार्यक्रम को सहकारी प्रशिक्षण केंद्र इंदौर के पूर्व प्राचार्य निरंजन कुमार कसारा ने कहा कि सहकारिता एक सबके लिए वह सब एक के लिए के सिद्धांत पर कार्य करती है। दीनदयाल उपाध्याय के दर्शन के अनुसार समुदाय के प्रति निष्ठा का सिद्धांत सहकारिता में लागू हुआ। वसुदेव कुटुंबकम की भावना के अनुरूप हम आगे बढ़े। अनेक सहकारी संस्थाएं बनी चली व समाप्त भी हुई। बहुत कुछ बदला पर सहकारिता का जो विचार है वह कभी नहीं बदला, ना बदलेगा।

विद्युत कर्मचारी साख सहकारी संस्था के अध्यक्ष संजय वोरा द्वारा सुझाव दिया गया कि सहकारी संस्थाओं को 30% आयकर भरना पड़ता है। यह सरासर अन्याय है। यदि इसमें कोई परिवर्तन नहीं किया गया तो सहकारी संस्थाओं को आगे चलाना बहुत मुश्किल और कठिन होगा ।

कार्यक्रम का संचालन जिला सहकारी संघ के जनसंपर्क अधिकारी पिंकेश भट्ट ने किया एवं अंत में आभार प्रदर्शन सहकारिता विभाग के वरिष्ठ सरकारी निरीक्षक विकास खराड़े द्वारा किया गया ।

कार्यक्रम में विशेष रूप से महर्षि परशुराम साख सहकारी संस्था के अध्यक्ष संदीप व्यास, चित्रांश साख संस्था के अध्यक्ष सुनील श्रीवास्तव ,प्रबंधक, सर्व ब्राह्मण सभा के अध्यक्ष पंडित प्रवीण उपाध्याय,चौबीसा ब्राह्मण समाज साख संस्था के अध्यक्ष निखिलेश शर्मा सहित शहरी साख संस्थाओं के संचालक मण्डल के सदस्य उपस्थित थे। ---------------

हिन्दुस्थान समाचार / शरद जोशी

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