भोपाल- जो बच्चे कभी गंभीर बीमारियों से पीड़ित थे, उन्होंने क्रिकेट के मैदान पर लगाई दौड़

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- क्रिकेट खेलकर दिया गंभीर बीमारियों पर जीत का संदेश

भोपाल, 13 फरवरी (हि.स.)। स्वास्थ्य विभाग जिला भोपाल ने अभिनव पहल करते हुए गंभीर बीमारियों का नि:शुल्क उपचार कराकर स्वस्थ हो चुके हितग्राहियों के लिए क्रिकेट मैच का आयोजन किया। मैच में राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत लाभान्वित बच्चों ने अपने खेल से गंभीर बीमारियों पर जीत का संदेश दिया।

मंगलवार को इन बच्चों के लिए विशेष क्रिकेट मैच का आयोजन अंकुर खेल मैदान में चल रही शिवाजी ट्रॉफी क्रिकेट टूर्नामेंट में किया गया। इस अवसर पर उप मुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल ने बच्चों का उत्साहवर्धन किया। ये बच्चे पहले विभिन्न गंभीर बीमारियों से ग्रस्त थे। सभी का उपचार शासन द्वारा नि:शुल्क करवाया गया है। आज ये बच्चे स्वस्थ हैं, खेलकूद और पढ़ाई में बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं। बच्चों में बीमारियों की शीघ्र पहचान प्रबंधन एवं उपचार करने के लिए संचालित राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत इन बच्चों को उपचारित किया गया है।

स्वास्थ्य विभाग जिला भोपाल की पहल पर आयोजित इस मैच में राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम, आयुष्मान भारत निरामयम योजना से लाभान्वित हितग्राहियों ने शिरकत की। पूर्व में ये बच्चे मोतियाबिंद, जन्मजात हृदय रोग, बाल श्रवण दोष, क्लेफ्ट लिप, डाउन सिंड्रोम जैसी बीमारियों से पीड़ित थे। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम एवं आयुष्मान भारत निरामयम योजना के तहत इनकी नि:शुल्क सर्जरी एवं उपचार करवाया गया है। उपचार के बाद ये बच्चे अब स्वस्थ हैं।

इस अवसर पर इन बच्चों के परिजनों ने शासन द्वारा दी गई स्वास्थ्य सेवाओं के लिए आभार व्यक्त करते हुए कहा कि अगर सही समय पर बच्चों में बीमारियों की पहचान कर उनका उपचार नहीं कराया जाता तो आज यह बच्चे इस मुकाम पर नहीं पहुंच पाते। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी भोपाल डॉ. प्रभाकर तिवारी ने कहा कि राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम अंतर्गत बच्चों में जन्मजात विकृतियों, बीमारियों, पौष्टिकता की कमी एवं विकासात्मक विलंब की पहचान की जा रही है।

राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत आर.बी.एस.के. दल द्वारा फील्ड स्तर से बच्चों में बीमारियों की शीघ्र पहचान करके एवं ज़िला शीघ्र हस्तक्षेप केंद्र के माध्यम से उपचार कराया जाता है। पूर्व में गणतंत्र दिवस के पर हितग्राहियों द्वारा सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दी गई थी, जिसमें बौद्धिक अक्षमता, ऑटिज्म, ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर, डाउन सिंड्रोम बच्चों द्वारा नृत्य, गायन, पेंटिंग एवं कविता की प्रस्तुतियां दी गई थी।18 साल तक की उम्र के बच्चों में विभिन्न बीमारियों के उपचार के लिए वर्ष 2013 में राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत आर.बी.एस.के. दल द्वारा आंगनवाड़ी केंद्रों एवं शासकीय स्कूलों में बच्चों की स्क्रीनिंग की जा रही है।

कार्यक्रम के तहत जिले में लगभग साढ़े 5 लाख बच्चों को शामिल किया गया था। निजी स्कूलों को शामिल करने के बाद अब लगभग 10 लाख बच्चों को इस कार्यक्रम के तहत सेवाएं दी जा रही है। जिले में 17 आरबीएसके दल निर्धारित माइक्रो प्लान के अनुसार स्कूलों में पहुंचकर बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण कर रहे हैं। बीमारियां पाए जाने पर उपचार नि:शुल्क कराया जाता है।

हिन्दुस्थान समाचार / मुकेश

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