जबलपुर: आठ माह चली जांच की झोल में अमानक दवा पी गए सरकारी अस्पताल के बच्चे
जबलपुर, 21 मई (हि.स.)। सरकारी अस्पताल में बच्चों को बुखार के लिए दी जा रही दवा जो कि सिरप के रूप में है जांच में अमानक पाई गई है। जिस कंपनी की दवा सरकारी अस्पताल में दी जा रही थी उस कंपनी पर कार्यवाही की बात की जा रही है। वहीं यह कंपनी अभी तक 10 हजार में ज्यादा दवा की शीशी सप्लाई कर चुकी है। खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग द्वारा पिछले दिनों इस सिरप का सैंपल लेकर जांच कराई गई थी।
जांच के बाद दवा अपनी गुणवत्ता में उचित नहीं पाई गई। वही दवा जबलपुर के सरकारी अस्पताल में बच्चों को बुखार की दवा के रूप मे पिछले 10 माह में पिलाई जा रही थी।
जबलपुर के सीएमएचओ डॉक्टर संजय मिश्रा ने यह बात स्वीकार की है कि यह दवा जांच में फ़ेल हो गई है एवं यह दवा रानी दुर्गावती जो लेडी एल्गिन अस्पताल कहलाती है में बच्चों को बुखार के उपचार के रूप में दी जा रही थी। यह दवा सरकारी अस्पताल में सरकार की एक एजेंसी के माध्यम से सप्लाई होती थी। सप्लाई के समय कम्पनी ने एक लेबोटरी में जाँच कराकर अपना गुणबत्ता सर्टिफिकेट दिया था। चूंकि समय-समय पर रेंडम सेंपलिग की जाती है एवं उनकी जांच की जाती है, इसी में इस सिरप का नमूना लिया था जो कि बाद में अमानक निकला। हालांकि अमानक पाते ही इस दवा का उपयोग रोक दिया गया है । इस बाबत जो कंपनी दवा की सप्लाई करती थी उसके खिलाफ कार्रवाई को लेकर राज्य खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग द्वारा कार्रवाई की जा रही है।
दवा का निर्माण इंदौर की कंपनी द्वारा किया गया है। यह कंपनी धार जिले के पीतमपुर में स्थित है। इस दवा में पैरासिटामोल व पेडियाट्रिक ओरल सस्पेंशन जो कि नवजात शिशुओं से लेकर 12 वर्ष तक के बच्चों को बुखार में दिया जाता है। इस कंपनी द्वारा 60 एमएल क्षमता की 10हजार से ज्यादा शीशी अस्पताल में सप्लाई की जा चुकी है। यदि बात की जाए तो 13 जुलाई 2023 को रेडम सेंपलिंग के समय इस दवा का सैंपल लिया गया था। जुलाई में दिए गए सैंपल की रिपोर्ट मार्च 2024 में आई। इसी बीच में लगभग 90% दवा बच्चों को पिलाई जा चुकी थी। दवा के अमानक मिलते ही अस्पताल में इस पर रोक लगा दी गई है। सवाल यह उठता है सैंपल लेने और उसका परिणाम आने में बीच के समय में जो दवा पिला दी गयी हैं इसके लिए जिम्मेदार कौन है।
हिन्दुस्थान समाचार/ विलोक पाठक
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