मप्र में सरकारी योजनाओं के कारण गरीबी रेखा से बाहर आए 1.30 करोड़ लोग
भोपाल, 9 नवंबर (हि.स.)। पं.दीनदयाल उपाध्याय भाजपा और जनसंघ के संस्थापक सदस्यों में शामिल रहे हैं। इस नाते देश के अधिकांश लोग उन्हें एक राजनेता के रूप में ही देखते हैं। लेकिन पं. उपाध्याय की एकात्म मानववाद और अंत्योदय दो ऐसी अवधारणाएं हैं, जिन्हें भारतीय जनता पार्टी ने अपने मूलभूत सिद्धांतों के रूप में लिया है। पार्टी के नेता अक्सर कहते भी हैं, 'भाजपा का लक्ष्य समाज के अंतिम व्यक्ति का कल्याण है।' मप्र में यदि इसकी पड़ताल करें तो भाजपा सरकार ने यहां रहते हुए इसे जमीन पर साकार करके दिखाया है। सरकार की योजनाओं के प्रभाव से न सिर्फ गरीबों के जीवन में बदलाव आया, बल्कि प्रदेश के 1.30 करोड़ लोग गरीबी रेखा से बाहर आए हैं।
मप्र में वर्ष 2003 में भाजपा सत्ता में आई। उस समय की मुख्यमंत्री उमा भारती ने गाय, गरीब और गौरी का नारा देकर अपने इरादे साफ कर दिए थे। उन्होंने अपने इन इरादों को जमीन पर उतारना शुरू किया, उसके बाद बाबूलाल गौर सरकार ने उनकी योजनाओं को आगे बढ़ाया। फिर जब मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान बने तो उन्होंने नए सिरे से योजनाओं की समीक्षा की और अनेक नवीन नवाचार प्रदेश में आरंभ हुए । गरीबों को लक्षितकर योजनाएं बनाई गईं।
राज्य और केंद्र की योजनाओं मिलकर बनाई प्रदेश की खुशहाल तस्वीर
इस संबंध में आर्थिक विश्लेषक ज्ञानेश पाठक कहते हैं, ''मप्र में जो यह परिवर्तन हुआ है वह तमाम जनकल्याणकारी योजनाओं का मल्टीपल इंपैक्ट है। वहीं, विभिन्न प्रकार की आर्थिक गतिविधियों के बहुआयामी प्रभाव उत्पन्न होते हैं, जोकि कुछ तत्काल तो कुछ दीर्घकाल में किंतु लम्बे समय तक के लिए दिखाई देते हैं। इस दिशा में लम्बे समय तक प्रदेश में एक ही राजनीतिक पार्टी की सरकार रहने से यह स्पष्ट रहा कि किस तरह से प्रदेश को आर्थिक रूप से सशक्त बनाया जाए । यही वजह है कि राज्य में आज बड़ी संख्या लोगों को वह दिखती है जोकि गरीबी रेखा से बाहर हुए हैं।''
योजनाओं के क्रियान्वयन पर धरातल पर हो रहा काम
केंद्र राज्य संबंधों के जानकार वरिष्ठ पत्रकार डॉ. आनंद शुक्ला बताते हैं कि केंद्र की योजनाओं का क्रियान्वयन राज्य सरकारों पर निर्भर करता है। कई राज्यों में विरोधी दलों की सरकारें होने से ये योजनाएं या तो लागू ही नहीं हो पातीं, या औपचारिकता बनकर रह जाती हैं। जैसा हम प. बंगाल, राजस्थान और कमलनाथ सरकार के समय मध्यप्रदेश में भी देख चुके हैं। राज्य सरकारों की उदासीनता के चलते इन योजनाओं के लिए केंद्र से मिले फंड वापस लौट जाते हैं। खामियाजा आम लोगों को भुगतना पड़ता है। लेकिन बीते आठ सालों में प्रदेश की शिवराज सरकार ने जिस उत्साह के साथ केंद्र की योजनाओं को लागू किया है, वो अन्य राज्यों के लिए मिसाल बन गया है। डॉ. शुक्ला का कहना है ''प्रधानमंत्री आवास, आयुष्मान भारत, प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना, उज्जवला योजना, स्वच्छ भारत अभियान, स्ट्रीट वेंडर योजना सहित अन्य योजनाओं को आप देख सकते हैं। फिर इनमें कई योजनाओं के क्रियान्वयन में तो मध्यप्रदेश नं.-1 राज्य बन गया है। जिसका कि प्रभाव सीधे तौर पर गरीबी उन्मूलन के रूप में आज हमारे सामने है।''
ये हैं योजनाओं के विकास के आंकड़े
अर्थशास्त्र एवं सांख्यिकी विद्वान डॉ. नीलू दुबे योजनाओं में आंकड़ों की बात करती हैं। वे कहती हैं, आज शायद ही मप्र में कोई ऐसा व्यक्ति या परिवार बचा हो, जिसे किसी सरकारी योजना का लाभ न मिलता हो, गांव से लेकर शहर तक हर परिवार में किसी सरकारी योजना का लाभार्थी आपको सहज ही मिल जाता है। उन्होंने बताया कि प्रदेश में 3.61 करोड़ से अधिक आयुष्मान कार्ड वितरित किए गए हैं, जिनसे 29.5 लाख लोगों को निशुल्क उपचार मिल रहा है। प्रधानमंत्री आवास योजना में ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों को मिलाकर करीब 41 लाख परिवारों को पक्के घर मिले हैं। गरीब कल्याण अन्न योजना के अंतर्गत 5.18 करोड़ लोगों को प्रतिमाह मुफ्त राशन मिल रहा है। स्वच्छ भारत अभियान में 71 लाख से अधिक घरों में शौचालय बनाए गए।
अकेली संबल योजना ने ही पौने पांच करोड़ से अधिक लोगों को पहुंचाया लाभ
डॉ. नीलू आंकड़ों ही आंकड़ों में समझा देती हैं कि प्रदेश सरकार की संबल योजना के अंतर्गत अब तक 4.80 लाख से अधिक हितग्राहियों को 4300 करोड़ रुपये के हितलाभ दिये जा चुके हैं। वहीं, संबल-2 योजना में 17 लाख से अधिक हितग्राहियों को जोड़ा गया। पीएम स्वनिधि योजना और मुख्यमंत्री पथ विक्रेता योजना के माध्यम से 11 लाख से अधिक छोटे व्यवसायियों को 10 हजार से लेकर 50 हजार रुपये तक का बिना ब्याज का ऋण दिया गया है। प्रदेश की 82 लाख महिलाओं को उज्जवला गैस कनेक्शन प्रदान किए गए हैं। इनका मानना है कि मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान द्वारा हाल ही में शुरू की गई लाडली बहना योजना गरीबी उन्मूलन में बड़ी प्रभावी साबित हो रही है। इस योजना के अंतर्गत 1.31 करोड़ से अधिक महिलाओं को पहले 1000 रुपये और अब 1250 रुपये प्रतिमाह मिल रहे हैं।
योजनाओं से आया जीवनस्तर में सुधार
उल्लेखनीय है कि हाल ही में जारी रिपोर्ट के अनुसार देश के 13 करोड़ लोग गरीबी रेखा से बाहर आए हैं, जिनमें से 1.35 करोड़ लोग मध्यप्रदेश के हैं। प्रधानमंत्री आर्थिक परिषद की सदस्य प्रो.शमिका रवि के अनुसार मल्टी डायमेंशनल पॉवरटी इंडेक्स के अनुसार प्रदेश के 1.30 करोड़ लोग गरीबी रेखा से बाहर आ गए हैं। उन्होंने बताया कि मल्टी डायमेंशनल पॉवरटी इंडेक्स में गरीबी का आकलन सिर्फ आर्थिक आधार पर नहीं, बल्कि लोगों के संपूर्ण जीवन स्तर के आधार पर किया जाता है। मप्र में गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले अधिकांश लोगों के पास आज अपने पक्के घर हैं। उनमें बिजली, पानी, शौचालय और कुकिंग गैस उपलब्ध हैं, उन्हें पर्याप्त भोजन, उपचार और शिक्षा उपलब्ध है। इन्हीं मापदंडों के आधार पर प्रदेश के 1.30 करोड़ लोग गरीबी रेखा से बाहर हो गए हैं।
हिन्दुस्थान समाचार/ केशव दुबे
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