शहडोल लोकसभा चुनाव: साल दर साल बढ़ा भाजपा का जनाधार, जीत का अंतर भी बढ़ा

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शहडोल लोकसभा चुनाव: साल दर साल बढ़ा भाजपा का जनाधार, जीत का अंतर भी बढ़ा


कांग्रेस जनाधार वापस पाने के लिए कर रही संघर्ष, भाजपा जीत का अंतर बढ़ाने का जतन

अनूपपुर, 11 अप्रैल (हि.स.)। शहडोल संसदीय क्षेत्र के लिए पहले चरण 19 अप्रैल के मतदान के लिए सरगर्मी बढ़ रही है। प्रत्याशियों के पास मतदाताओं को रिझाने के लिए सिर्फ एक सप्ताह ही शेष हैं। दस उम्मीदवार मैदान में है, लेकिन मुकाबला दो दलों भाजपा और कांग्रेस के बीच है। दोनों दलों के उम्मीदवार मतदाताओं को अपने पक्ष में करने में जुटे हैं। दोनों दलों के स्टार प्रचारकों की सभाएं हो चुकी हैं।

भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा व मुख्यमंत्री मोहन यादव और कांग्रेस से पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी के बाद उम्मीदवार के गृह क्षेत्र में कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष जीतू पटवारी की छोटी सभा हुई। इन सभाओं के बाद चुनावी माहौल बना है और कार्यकर्ताओं को नई ऊर्जा मिली है। लेकिन कांग्रेस में वह उत्साह दिखाई नहीं दे रहा है। भाजपा जिलाध्यक्ष रामदास पुरी ने जीतू पटवारी की सभा को लेकर कटाक्ष करते हुए कहा कि लगातार तीन बार से विधायक अभी विधानसभा का चुनाव में जीते कांग्रेस उम्मीदवार के गृह क्षेत्र में कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष की सभा कराना यह कांग्रेस की हताशा दिख रही है, जो अपने क्षेत्र में पिछड़ रहे हैं।

लोकसभा के इस चुनाव में भाजपा कोई कमी नहीं छोड़ रही है। भाजपा उम्मीदवार के पास अपनी कोई उपलब्धि नहीं होने से मोदी मैजिक के सहारे मतदाताओं के पास जाकर मोदी सरकार की उपलब्धि गिना रहे हैं। पिछले कुछ चुनावों की बात करें तो भाजपा का जनाधार बढ़ने के साथ जीत का अंतर बढ़ा है। 2019 लोकसभा चुनाव में इस सीट पर कुल 16,56,474 मतदाता थे। चुनाव में भाजपा उम्मीदवार हिसाद्री सिंह को जीत मिली थी और उन्हें 7,47,977 वोट हासिल हुए थे। इस चुनाव में हिमाद्री सिंह को कुल मतदाताओं में से 45.15. प्रतिशत का समर्थन प्राप्त हुआ था, जबकि डाले गए वोटों में से 60.39 प्रतिशत उन्हें दिए गए थे। लोकसभा चुनाव 2019 के दौरान कांग्रेस उम्मीदवार प्रमिला सिंह दूसरे स्थान पर थी, जिन्हें 3,44,644 वोट मिले थे, जो कुल मतदाताओं में से 20.81 प्रतिशत का समर्थन था। उन्हें डाले गए वोटों में से 27.83 प्रतिशत वोट मिले थे और हिमांद्री सिंह की जीत का अंतर 4,03,333 था। इससे पहले 2014 में हुए लोकसभा चुनाव के दौरान 15,61,016 मतदाता थे। उस चुनाव में भाजपा के प्रत्याशी दलपत सिंह परास्ते ने 5,25,419 वोट हासिल कर जीत दर्ज की थी। उन्हें कुल मतदाताओं में से 33.66 प्रतिशत ने समर्थन दिया था, और डाले गए वोटों में से 54.22 प्रतिशत वोट मिले थे। वहीं दूसरे स्थान पर रहीं कांग्रेस उम्मीदवार राजेशनंदिनी सिंह को 2,84,118 मतदाताओं का समर्थन हासिल हो सका था। 2014 में जीत का अंतर 241301 था। इन दो चुनावों में जीत का अंतर बढ़ने के भाजपा का जनाधार भी बढ़ा है।

2009 में हुए लोकसभा चुनाव में 1272377 मतदाता थे, जिनमें से कांग्रेस उम्मीदवार राजेश नंदिनी सिंह ने 2,63,434 वोट पाकर जीत हासिल की थी। राजेश नंदिनी सिंह को लोकसभा क्षेत्र के कुल मतदाताओं में से 20.7 प्रतिशत वोटरों का समर्थन हासिल हुआ था, जबकि चुनाव में डाले गए वोटों में से 41.86 प्रतिशत वोट उन्हें मिले थे। दूसरे स्थान पर भाजपा के उम्मीदवार नरेंद्र सिंह मरावी थे, जिन्हें 2,50,019 मतदाताओं का साथ मिला था। कुल वोटरों का 19.65 प्रतिशत था और कुल वोटों का 39.73 प्रतिशत था। 2009 में इस संसदीय सीट पर जीत का अंतर 13,415 था। यानी पिछले दस साल में भाजपा का जनाधार बढ़ा है, जबकि कांग्रेस का घट रहा है। इस बार भाजपा ने सांसद हिमांद्री सिंह को फिर से मैदान में उतारा गया है और वे चुनाव जीतने के लिए बल्कि अपने जीत का अंतर बढ़ाने के लिए काम कर रही हैं। वहीं कांग्रेस ने तीन बार के विधायक फुंदेलाल सिंह को टिकट देकर चुनावी मुकाबले को कड़ा बना दिया है। कांग्रेस प्रत्याशी अपने जनाधार की वापसी के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

हिन्दुस्थान समाचार/ राजेश शुक्ला/मुकेश

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