आधुनिक तकनीक का उपयोग कर निर्माण कार्यों को सभी विभाग समन्वय से करें बेहतर: कलेक्टर

आधुनिक तकनीक का उपयोग कर निर्माण कार्यों को सभी विभाग समन्वय से करें बेहतर: कलेक्टर
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आधुनिक तकनीक का उपयोग कर निर्माण कार्यों को सभी विभाग समन्वय से करें बेहतर: कलेक्टर


- कार्यशाला में दी गई सीबीयूडी एप तथा पोर्टल की जानकारी

रीवा, 18 मई (हि.स.)। जिले भर में शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में विभिन्न विभागों द्वारा बड़ी संख्या में निर्माण कार्य किए जा रहे हैं। इन निर्माण कार्यों में कई बार निचले स्तर पर पूरी जानकारी न होने तथा समन्वय के अभाव में कठिनाइयाँ उत्पन्न हो जाती हैं। सड़क और नाली निर्माण के कार्य में पाइपलाइन क्षतिग्रस्त होती है तो पाइपलाइन डालते समय सड़कों को नुकसान हो जाता है। इन परेशानियों को दूर करने के लिए जियो गूगल तथा सीबीयूडी मोबाइल एप का उपयोग अब किया जाएगा। शुक्रवार को इसकी एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित की गई। जल जीवन मिशन द्वारा आयोजित इस कार्यशाला में प्रत्येक निर्माण कार्य को जियो टैगिंग के माध्यम से जिले, विकासखण्ड और ग्राम के नक्शे में दर्शाने का प्रशिक्षण दिया गया।

कार्यशाला का शुभारंभ करते हुए कलेक्टर प्रतिभा पाल ने कहा कि आधुनिक सूचना संचार तकनीक का उपयोग करके निचले स्तर पर निर्माण कार्यों की कई कठिनाइयां दूर की जा सकती हैं। नवीन तकनीक का उपयोग करके निर्माण कार्यों को बेहतर करें। जब कोई पाइपलाइन अथवा सड़क क्षतिग्रस्त होती है तो परेशानी आमजनता को होती है। निर्माण कार्यों में यदि सभी विभागों में समन्वय हो तो ऐसी परेशानी नहीं होगी। इसके लिए जियो गूगल अर्थ और सीबीयूडी मोबाइल एप का उपयोग किया जाएगा।

उन्होंने कहा कि पीएचई विभाग के पोर्टल में जल जीवन मिशन तथा पीएचई विभाग द्वारा बनाई गई सभी नल-जल योजनाओं के इंटेक वेल, पाइपलाइन, वाटर ट्रीटमेंट प्लांट आदि को दर्ज कर दिया गया है। नक्शे में इन्हें चिन्हित करके जनपद पंचायतों को उपलब्ध करा दिया गया है। कोई भी व्यक्ति पोर्टल पर जाकर इनकी लोकेशन देख सकता है। जब सड़क नाली तथा अन्य निर्माण कार्यों की तकनीकी स्वीकृति जारी की जाए तो उसमें पीएचई अथवा जल निगम की एनओसी का उल्लेख अवश्य करें। पोर्टल के माध्यम से इस बात को सुनिश्चित करें कि निर्माण कार्य से पेयजल की पाइपलाइन अथवा अन्य किसी भूमिगत निर्माण को क्षति न पहुंचे।

कलेक्टर ने कहा कि यह केवल किसी एक विभाग का कार्य नहीं है। निर्माण कार्यों से जुड़े सभी जिला स्तरीय अधिकारी अपने अधीनस्थ अधिकारियों को इसका प्रशिक्षण दें। साथ ही तकनीकी स्वीकृति जारी करने के संबंध में नए निर्देश जारी करके उसकी प्रति सोमवार को उपलब्ध कराएं। जल जीवन मिशन के अधिकारी भी इस बात का ध्यान रखें कि उनकी पाइपलाइन से सड़क, पुल आदि को किसी तरह का नुकसान न हो। अन्य विभागों से समन्वय बनाकर ही निर्माण कार्य करें। अन्य विभागों से जुड़े मुद्दों के संबंध में प्रत्येक सप्ताह आयोजित टीएल बैठक में अपनी बात रखें। समन्वय और सहयोग के साथ विकास योजनाओं का क्रियान्वयन करें।

बैठक में जल जीवन मिशन के महाप्रबंधक पीके गुरू ने सीबीयूडी मोबाइल एप की जानकारी दी। श्री गुरू ने कहा कि इस एप को सभी तकनीकी अधिकारी अपने मोबाइल फोन पर डाउनलोड कर लें। इस एप का अर्थ है कॉल बिफोर यू डिग। जब कोई भी निर्माण एजेंसी किसी स्थान पर खुदाई करना चाहती है तो स्थान तथा खुदाई की लम्बाई-चौड़ाई सात दिवस पूर्व एप में दर्ज कर दे। सभी निर्माण से जुड़े विभागों को ई मेल तथा मोबाइल फोन पर इसकी सूचना पहुंच जाती है। यदि किसी विभाग को खुदाई में आपत्ति है तो वह तत्काल अपनी जानकारी दर्ज कर सकता है। इसके लिए हेल्पलाइन नम्बर 0755-2700802 पर भी सुविधा उपलब्ध है। पीएचई विभाग की नल-जल योजनाओं की जानकारी जियो पोर्टल डॉट एमपी डॉट जीओभी डॉट इन एमपीपीएचई अण्डर स्कोर न्यू पर उपलब्ध है। अब किसी भी निर्माण कार्य के लिए खुदाई करने पर इस एप में सात दिन पूर्व जानकारी दर्ज करना अनिवार्य है। बिना जानकारी दर्ज किए खुदाई करने पर प्रकरण दर्ज होगा। सभी कार्यपालन यंत्री अपने अधीनस्थ तकनीकी अधिकारियों को इस एप का प्रशिक्षण अवश्य दें।

कार्यशाला में जल जीवन मिशन के जिला प्रबंधक चित्रांशु ने कार्यशाला के उद्देश्यों की जानकारी दी। कार्यशाला में सहायक कलेक्टर प्रपंज आर, लोक निर्माण विभाग पीएचई, मध्यप्रदेश सड़क विकास निगम, पीआईयू, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना, जल संसाधन तथा अन्य सभी निर्माण से जुड़े विभागों के कार्यपालन यंत्री, सहायक यंत्री, उपयंत्री एवं जनपद के मुख्य कार्यपालन अधिकारी उपस्थित रहे।

हिन्दुस्थान समाचार / मुकेश/नेहा

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