अशोकनगर: हाईकोर्ट आदेश के बावजूद भी भू-माफियाओं की बेदखली करने में नाकाम प्रशासन

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अशोकनगर: हाईकोर्ट आदेश के बावजूद भी भू-माफियाओं की बेदखली करने में नाकाम प्रशासन


अशोकनगर, 06 अगस्त (हि.स.)। शहर में भू-माफियाओं का दबदबा इस कदर हावी दिखाई दे रहा है कि प्रशासन सरकारी भूमि तक माफियाओं से मुक्त कराने नाकाम दिखाई दे रहा है। तहसील दफ्तर के ठीक सामने प्रशासन की नाक के नीचे स्थित मंदसौर मिल के नाम से करीबन 5 हैक्टयर सरकारी बेशकीमती भूमि, माफियाओं से मुक्त कराने नगर विकास समिति अनेकों बार कलेक्टर को ज्ञापन दे चुकी है।

पर उक्त बेशकीमती भूमि को माफियाओं से मुक्त कराने प्रशासन हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद भी मुक्त कराने नाकाम साबित हुआ है। एक जानकारी के अनुसार मंदसौर मिल के नाम से पहचान रखने वाली शहर की बेशकीमती भूमि का अतिक्रमण हटा कर बाउंड्री बाल कराने के लिए हाईकोर्ट दो माह पूर्व 11 मई 2024 को आदेशित कर चुका है। पर दो माह गुजर जाने के बावजूद भी प्रशासन के द्वारा कोई कार्रवाई अब तक देखने में नहीं आई है। उक्त मामले को लेकर नगर विकास समिति कलेक्टर को कई बार ज्ञापन बता चुकी है कि तहसील दफ्तर के सामने स्थिति भूमि रकवा 5.080 हैक्टेयर भूमि का अधिग्रहण कर भूमि को माफियाओं से मुक्त कराया जाए।

दरअसल, उक्त शासकीय भूमि जिसे शासन ने 1929 में मंदसौर के सेठ मुरलीधर बासुदेव को जीनिंग फैक्टरी लगाने के लिए दी गई थी। जिसकी शर्तों का पालन फैक्टरी मालिक द्वारा नहीं किया गया, और उक्त भूमि पर फैक्टरी बंद होने के बाद नियमानुसार भूमि शासन को वापिस होना थी। किन्तु उक्त भूमि मुरलीधर बासुदेव द्वारा अपने गोद लिए गए पुत्र शांतनु कुमार गनेठीवाला के नाम कर दी। जिसके बाद पक्का कृषक पट्टा बनवाकर उक्त करोड़ों की भूमि खुर्द-बुर्द की जा रही है। आगे कहा गया कि उक्त भूमि सर्वे नम्बर 486, 487, 488,489,490,491,492,493,494 एवं 500 कुल रकवा 5.080 हैक्टेयर भूमि जो मंदसौर के सेठ को 1929 में ग्वालियर स्टेट के समय फैक्टरी लगाने दी गई थी। फैक्टरी बंद होने के बाद मुरलीधर बासुदेव ने त्रुटि पूर्ण तरीके से अपने गोद लिए पुत्र के नाम कर दी थी।

2002 में तत्कालीन कलेक्टर ने भूमि सरकारी घोषित की

जानकारी अनुसार अविभाजित गुना जिला की तत्कालीन कलेक्टर नीलम राव के द्वारा उक्त भूमि को सरकारी घोषित करने के आदेश दिए थे। तत्पश्चात शांतनु गनेठीवाला आदि ने कलेक्टर के आदेश के विरुद्ध कमिश्नर ग्वालियर को अपील की। जिस पर से कमिश्नर द्वारा भी कलेक्टर के आदेश को यथावत रखते हुए भूमि को सरकारी मानी।

राजस्व मण्डल का फैसला गैर शांतनु आदि के पक्ष में

कमिश्नर के आदेश के विरुद्ध फिर शांतनु आदि ने राजस्व मण्डल में अपील की, जिस पर से राजस्व मण्डल फैसला शांतनु आदि के पक्ष में दिया। तत्पश्चात शासन की ओर से राजस्व मण्डल के विरुद्ध हाईकोर्ट में अपील की गई। जिस पर से हाई कोर्ट ने पुन: मामला राजस्व मण्डल में सुनवाई के लिए आदेशित किया।

उक्त मामले में शासन की ओर से पुन: हाईकोर्ट में अपील की गई। हाईकोर्ट में मामला अभी विचाराधीन है, वहीं बीते 11 मई को हाईकोर्ट ने आदेशित किया कि उक्त भूमि से अतिक्रमण हटा कर भूमि की बाउंड्रीबाल की जाए। पर दो माह गुजर जाने के बाद भी प्रशासन ने अब तक कोई कार्रवाई नहीं की।

हिन्दुस्थान समाचार / देवेन्द्र ताम्रकार / राजू विश्वकर्मा

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