श्योपुर: पॉक्सो एक्ट के तहत न्यायालय ने सुनाई 20 साल के कठोर कारावास की सजा

श्योपुर: पॉक्सो एक्ट के तहत न्यायालय ने सुनाई 20 साल के कठोर कारावास की सजा


- जिले में पहली बार न्यायालय का ऐतिहासिक निर्णय

श्योपुर, 23 नवंबर (हि.स.)। घर के बाहर सड़क पर खेल रही पांच वर्षीय मासूम बालिका को अपनी हवस का शिकार बनाने वाले आरोपी के खिलाफ विजयपुर न्यायालय ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए 20 वर्ष के कठोर कारावास से दण्डित किया है। घटना में सबसे दुखद और अहम तथ्य यह है कि अपनी मासूम बेटी के साथ हुए इस तरह के जघन्य अपराध को भुलाकर माता-पिता ने न सिर्फ अपने बयान बदल दिये, बल्कि उस मासूम के मन मस्तिष्क से इस हृदय विदारक घटना को मिटाने का पूरा प्रयास किया, लेकिन जिस पर बीती है, वह भला कैसे भूल सकता है, बालिका ने माता-पिता और आरोपियों के लाख समझाने के बाद भी अपने बयान में कुछ ऐसा कह दिया, जिससे न्याय की कुर्सी पर बैठे न्यायाधीश सहज ही पूरे घटनाक्रम को भांप गए। इसके अलावा दुष्कर्म की इस घटना का दूसरे सबसे बड़ा तथ्य वह डीएनए रिपोर्ट थी, जिसने माता-पिता के लालच और आरोपियों की सभी कोशिशों पर पानी फेर दिया।

शासन की ओर से मामले की पैरवी कर रहे अपर लोक अभियोजक महेन्द्र भारद्वाज ने बुधवार को बताया कि ग्राम पार्वती बड़ौदा तहसील विजयपुर के निवासी सूरज जाटव ने गत 6 फरवरी 2021 को 5 वर्ष की बालिका के साथ दुष्कर्म की घटना को अंजाम दिया था। विवेचना के उपरांत प्रकरण न्यायालय में विचारण के लिये प्रस्तुत हुआ, विचारण के दौरान समस्त अभियोजन साक्षी जो पीडि़ता के परिवार के थे, वे पक्ष विरोधी हो गए। लेकिन डीएनए रिपोर्ट पॉजिटिव आई। इस आधार पर अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश विजयपुर ने आरोपी सूरज जाटव को दोषी पाते हुए धारा 376 एबी में 20 वर्ष का कठोर कारावास और 5000 का जुर्माना से दण्डित किया है, साथ ही जुर्माने की राशि जमा नहीं करने पर एक वर्ष की अतिरिक्त सजा भुगतने का प्रावधान न्यायिक निर्णय में किया गया है और धारा 363 भारतीय दंड विधान में तीन वर्ष का कारावास और 1000 जुर्माना लगाया गया है। जुर्माना जमा नहीं करने पर 6 माह की अतिरिक्त सजा का प्रावधान किया है।

प्रकरण में हुए 19 लोगों के बयान, बदल गए माता-पिता: एक वर्ष चार माह पहले घटित हुए इस घटनाक्रम में सबसे पहला कथन जुलाई 2021 में हुआ। इस दौरान 19 लोगों के बयान किये गए। जिसमें बालिका का डीएनए की जांच करने वाले चिकित्सा विशेषज्ञ के भोपाल से वीडियो कॉल के माध्यम से बयान लिये गए। न्यायालय में चले इस प्रकरण के दौरान माता-पिता ने अपना बयान बदलते हुए इस घटनाक्रम के घटित नहीं होने की बात कही, वहीं बालिका से भी बयान बदलवाने का प्रयास किया, लेकिन बालिका अपने बयानों के बीच में बोल गई कि उसका चिकित्सा परीक्षण हुआ है। डीएनए की पॉजीटिव रिपोर्ट और बालिका के बयान के आधार पर आरोपी को सजा सुनाई गई है।

हिन्दुस्थान समाचार/शरद

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