रतनगढ़ माता मंदिर पर उमड़ा जन सैलाव, लाखो श्रृद्धालुओं ने दर्शन किए
दतिया, 26 अक्टूबर (हि.स.)। विध्यांचल पर्वत की घनी वादियों एवं ऊंचे पहाड़ पर स्थित रतनगढ़ माता मंदिर पर प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी दीपावली की दोज पर लगने वाले रतनगढ़ माता मेले में लाखों श्रद्धालु पहुंचे। गत वर्ष की तुलना में यहाँ और अधिक श्रद्धालु आये। जिला प्रशासन द्वारा एक माह की मशक्कत के बाद की गई चौकस व्यवस्थाओं के बीच लाखों श्रृद्धालुओं ने माता रतनगढ़ और कुंअर बाबा के दर्शन किए।
सबने देखे अद्भुत चमत्कार
विज्ञान की हदें समाप्त करते कई चमत्कार लोगों ने देखे, लेकिन माँ रतनगढ़ के दरबार में अदभुत नजारा देखने को मिलता है। जहाँ महिलाएं पुरूष सर्पदंश से पीड़ित जैसे ही मंदिर के पास नदी किनारे पहुंचते हैं वैसे ही बेहोश हो जाते है और उनके परिजन कंधे पर रखकर या प्रशासन द्वारा कराई गई स्ट्रेचर व्यवस्था पर लिटाकर जैसे ही कुंअर बाबा के दरबार में पहुंचते है वैसे ही पीड़ित होश में आ जाता है। वहीं सैकड़ों ऐसे लोग भी रहे जिनके पशुओं को भी बंध लगा था और वह पशुओं के बांधने वाले पस्से को लेकर मंदिर पहुंचे। जिससे नदी पर स्वतः गठान लगी और परिक्रमा के बाद वह खुद ही खुल गई।
पेढ़ भर कर आए लोग
दुर्गम रास्ते पर जहाँ लोगों का पैदल चलना भी दूभर हो रहा था। वहाँ हजारों लोग जमीन पर लेटते हुए यानि पेढ भरते हुए मंदिर तक पहुंचे। इसके अलावा मुंह में सांग पिरोए और जवारों के साथ कई लोग मंदिर पहुंचे।
लोग ले गये मंदिर की लकड़ी
ऐसी मान्यता है कि यहाँ की लकड़ घर पर रखने मात्र से सर्प सहित किसी भी जहरीली जीव का घर में प्रवेश नहीं रहता। इसी मान्यता के चलते हजारों लोग मंदिर की लकड़ी घर ले गये।
स्ट्रेचरों की व्यवस्था रही सराहनीय
अब तक सर्पदंश पीड़ित व्यक्ति को जैसे ही मैहर आता था तो उसके परिजन कंधे के सहारे लेटाकर उसे मंदिर तक ले जाते थे। यहाँ माता एवं कुंआर बाबा के नाम की झाड़ लगाते ही व्यक्ति स्वस्थ हो जाता है। इस बार प्रशासन द्वारा स्ट्रेचर की व्यवस्था की गई थी। जैसे ही कोई महर का रोगी जमीन पर गिरता है, वैसे ही उसे स्ट्रेचर उपलब्ध कराकर उसके परिजनों के साथ माता के मंदिर तक पहुंचा देते हैं। इस व्यवस्था ने लोगों को राहत प्रदान की है।
हिन्दुस्थान समाचार/संतोष तिवारी

