छठ महापर्व: खरना के साथ शुरू हुआ छठ व्रतियों का 36 घंटे का निर्जला उपवास
- रविवार को मालवांचल में बसे हजारों पूर्वांचलवासी अस्ताचलगामी सूर्य को देंगे अर्घ्य
इंदौर, 18 नवंबर (हि.स.)। चार दिवसीय छठ महापर्व के दूसरे दिन शनिवार शाम को खरना के साथ छठ व्रतियों का 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हो गया है। यह व्रत सोमवार, 20 नवंबर को सुबह उदय होते भगवान सूर्य को अर्घ्य देने के बाद पूजन-अर्चन के साथ समाप्त होगा। इससे पहले छठ महापर्व के तीसरे दिन रविवार को शहर एवं इसके आसपास क्षेत्रों में बसे पूर्वांचल के हजारों छठ व्रतधारी शहर के विभिन्न तालाबों, प्राकृतिक जलाशयों, कृत्रिम जलकुण्डों में खड़े होकर गोधूलि बेला में अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देंगे।
शहर में पूर्वोत्तर समाज के लोगों की सबसे बड़ी संस्था पूर्वोत्तर सांस्कृतिक संस्थान द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, शहर में इस वर्ष लगभग 125 जगहों, विशेष रूप से विजय नगर, बाणगंगा, स्कीम न 78, तुलसी नगर, समर पार्क निपानिया, पिपलियाहना तालाब, सिलिकॉन सिटी, शंखेश्वर सिटी, वेंकटेश नगर, श्याम नगर एनेक्स, एरोड्रम रोड, अन्नपूर्णा तालाब, सूर्य मंदिर कैट रोड सुखलिया, शिप्रा, देवास नाका इत्यादि जगहों पर सार्वजनिक छठ महापर्व मनाया जा रहा है, जहां छठ व्रती सार्वजनिक जलाशयों तथा कृत्रिम जलकुण्डों में खड़े होकर सूर्यदेव को अपने संतानों, परिवारों, समाज तथा शहर एवं प्रदेशवासियों के अच्छे स्वास्थ्य, सुख-समृद्धि एवं दीर्घायु होने की छठि मैया से कामना करेंगे। रविवार शाम 5 बजकर 42 मिनट पर अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा।
पूर्वोत्तर सांस्कृतिक संस्थान के अध्यक्ष ठाकुर जगदीश सिंह एवं महासचिव केके झा ने बताया कि शुक्रवार को सुबह से ही शहर के समस्त पूर्वांचल परिवारों, खासकर छठ व्रतियों के घरों में उत्सव एवं उल्लास का माहौल था। जहाँ परिवार की महिलाएं अपने अपने घरों की साफ़ सफाई कर खरना का प्रसाद बनाने में व्यस्त थीं, वहीं दूसरी तरफ घर के पुरुष छठ पूजा एवं पूजा में उपयोग होने वाले फलों की खरीदारियों में व्यस्त रहे। प्रसाद के रूप में महिलाओं ने गुड़ एवं गेहूं, घी मिश्रित ठेकुआ के अलावा चावल के भुसवा, इत्यादि का प्रसाद मिट्टी के बने चूल्हे पर बनाया।
उन्होंने बताया कि छठ महापर्व के दूसरे दिन शनिवार को छठ व्रतियों के घरों में खरना का आयोजन हुआ। दिन भर व्रत रखने के पश्चात व्रतियों ने शाम को गंगाजल मिश्रित जल से स्नान करने के पश्चात भगवान सूर्य का ध्यान कर छठ मईया का पूर्ण विधि विधान से पूजा किया। उसके बाद मिट्टी के बने चूल्हे पर पूर्ण स्वछता एवं पवित्रता के साथ अरवा चावल, दूध व गुड़ की खीर और गेहूं की रोटी का प्रसाद बनाकर भगवान सूर्य और छठ मईया को समर्पित करने के पश्चात उसे ग्रहण किया। इसके साथ ही व्रतियों का 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हो गया। व्रती अपने निर्जला उपवास का पारण सोमवार, 20 नवंबर को सुबह 6 बजकर 42 मिनट पर उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के पश्चात करेंगे।
हिन्दुस्थान समाचार/मुकेश
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