इंदौरः आत्मनिर्भरता से पूरकता को समझने की राज्य स्तरीय 30 दिवसीय कार्यशाला सम्पन्न

इंदौरः आत्मनिर्भरता से पूरकता को समझने की राज्य स्तरीय 30 दिवसीय कार्यशाला सम्पन्न
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इंदौरः आत्मनिर्भरता से पूरकता को समझने की राज्य स्तरीय 30 दिवसीय कार्यशाला सम्पन्न


- देश के चयनित शैक्षणिक संस्थाओं के 20 प्रतिभाशाली विद्यार्थियों ने लिया भाग

इन्दौर, 2 जून (हि.स)। इंदौर के निकट स्थित मानव चेतना विकास केन्द्र में राज्य शासन के आनंद विभाग द्वारा संचालित राज्य आनंद संस्थान द्वारा स्वीकृत दो वर्षीय अनुसंधान परियोजना के अंतर्गत प्रायोजित 30 दिवसीय आत्मनिर्भरता से पूरकता की कार्यशाला दो चरणों में आयोजित की गई। इस कार्यशाला का पहला चरण अप्रैल और दूसरा चरण मई माह में संपन्न हुआ। इसमें देश के विभिन्न चयनित शैक्षणिक संस्थाओं के 20 प्रतिभाशाली विद्यार्थियों ने भाग लिया।

अनुसंधान परियोजना के निदेशक डॉ. अभय वानखेड़े ने रविवार को जानकारी देते हुए बताया कि संस्थान में अस्तित्व मूलक मानव केन्द्रित चिंतन, सह-अस्तित्ववाद की रोशनी में चेतना विकास मूल्य शिक्षा से विद्यार्थियों में आत्मनिर्भरता के आचरण का अध्ययन किया जाना संभव हो गया है, जिससे विद्यार्थियों में मानसिक, भावनात्मक और आर्थिक स्वतंत्रता का अध्ययन कर बौद्धिक समाधान और भौतिक समृद्धि को सुनिश्चित किया जा सकता है। आनंद विभाग का राज्य आनंद संस्थान इसी दिशा में प्रयासरत है। इसी कड़ी में इस अनुसन्धान परियोजना द्वारा मानव में आत्मनिर्भरता की आवश्यकता को पहचान कर स्वयं ने सुखपूर्वक, परिवार में समृद्धि , समाज में अभयता और प्रकृति में सहस्तित्वपूर्वक जीने के शिक्षा संस्कार की सूचना -चिंतन -मनन -अध्ययन –अभ्यास करते हुए समीक्षा कर विश्वासपूर्वक जीने की विषय वस्तु से अवगत कराया गया।

कार्यशाला के दौरान विद्यार्थियों ने जिंदगी से जुड़े महत्वपूर्ण प्रश्न – मन की आजादी क्या है, आलस्य, बोरियत, थकान, केरियर, दोस्ती में शोषण, प्रतियोगिता, दूसरों से अपेक्षा, माता पिता से बढ़ती दूरी और अकेलेपन जैसे प्रश्न पूछे। जिसके तार्किक, व्यावहारिक, सार्वभौमिक और निरपेक्ष उत्तर अजय दायमा संस्थापक मानव चेतना विकास केंद्र द्वारा सहजता से दिए गए।

कार्यशाला की विषय वस्तु को 12 सत्रों में विभक्त किया गया था। विषय वस्तु की समझ को स्पष्ट करने के लिए प्रतिदिन चर्चा सत्र, प्रस्तुति सत्र, कार्यअभ्यास सत्र और व्यवहार सत्र आयोजित किये गए। दोस्ती सत्रों को केंद्र के युवाओं ने अपनी अभी तक की आत्मनिर्भरता के साथ जीने की समझ, प्रयास और अनुभव के आधार पर पूर्ण किया। सभी सत्रों का शोध निष्कर्ष के लिए सत्र पूर्व और सत्र उपरांत आंकलन सह जाँच और विश्लेषणात्मक अध्ययन किया गया। मानव चेतना विकास केंद्र एक परिवार मूलक शैक्षणिक केंद्र है, जो विगत 15 वर्षो से मानवीय शिक्षा के लिए क्रियाशील है । यहाँ मुख्य रूप से मानव-मानव के साथ और मानव-प्रकृति के साथ जीने का अस्तित्व सहज नियम को समझने, समझाने और जीने की शिक्षा प्राप्त करने का अवसर प्रदान किया जाता है।

कार्यशाला में शिक्षा व्यवस्था को समझने, जीने, समझाने की दिशा पर कार्य कर रहे रवि शेषाद्री, रामेन्द्र सिंह भदौरिया, चरण सिंह नायक, अनीस खान, सागर चावड़ा, अमित पाण्डेय, तारकेश राव, दिलीप चौहान आदि ने भी अपनी सहभागिता से विद्यार्थियों को मार्गदर्शन व प्रोत्साहित किया।

हिन्दुस्थान समाचार / मुकेश

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