अशोकनगर: 1714 तालाब गायब, प्रतीकात्मक चल जल स्त्रोतों का संरक्षण और पर्यावरण उत्थान

अशोकनगर: 1714 तालाब गायब, प्रतीकात्मक चल जल स्त्रोतों का संरक्षण और पर्यावरण उत्थान
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अशोकनगर: 1714 तालाब गायब, प्रतीकात्मक चल जल स्त्रोतों का संरक्षण और पर्यावरण उत्थान


अशोकनगर, 07 जून (हि.स.)। सम्पूर्ण मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री मोहन यादव के निर्देश पर गंगा संवर्धन अभियान के तहत जल स्त्रोतों के संरक्षण और साफ-सफाई के साथ इन स्थानों पर पौधा-रोपण अभियान चलाया जा रहा है। इस अभियान के तहत जिले में प्रतीकात्मक पौध-रोपण की बानगी दिखाई दी, वहीं शहर के तुलसी-सरोवर तालाब में साफ-सफाई की बानगी भी दिखाई दी।

मुख्यमंत्री के अभियान में शामिल पर्यावरण उत्थान को लेकर चल रहे इस तरह के कार्यक्रम जिले में किस तरह से सार्थक होंगे उस पर सवाल खड़े होते हैं।

यहां हैरत की बात है कि जिले भर में स्थिति सभी छोटे-बढ़े तालाब 2102 में से 1714 तालाब गायब हो चुके हैं। ये आंकड़ा है जिले के मत्स्य विभाग का। आखिर फिर कैसे हो जल स्त्रोतों का संरक्षण?

दर असल वर्ष 2019 में मत्स्य विभाग द्वारा जिले में तालाबों की अधिकृत तादात हेतु जानकारी जुटाई जा रही थी। विभाग में सेटेलाईट के जरिये जिले भर में 2102 सभी छोटे-बड़े तालाब होना दर्शाये जा रही थे। सेटेलाईट के जरिए दर्शाये जा रहे तालाबों को धरातल स्थल पर खोजने के लिए मैदानी स्तर पर विभाग द्वारा सालों खोजबीन की गई, तब कहीं जाकर छोटे-बड़े सभी तालाब मिलाकर केबल 388 तालाब ही मौके पर मिल सके, बाकी के 1714 तालाबों का आज तक अता पता नहीं चल सका है। इस संबंध में विभाग के लोगों का कहना है कि उक्त गायब तालाब के स्थानों पर कहीं खेत-खलियान तो कहीं मकान बने हुए दिखाई दिए। तो बीते वर्षों में इस तरह से तालाबों पर कब्जे कर लिए गए और जिले भर में जल भराव क्षेत्र में कमी आती गई। यहां माफियाओं द्वारा जितना पर्यावरण को नुकसान पहुंचाया गया शायद ही कहीं ऐसी स्थिति देखने में आई हो।

तुलसी सरोवर नपा के अधीन आने पर बड़े अतिक्रमण

शहर के बीच स्थित तुलसी सरोवर तालाब जो कि कभी जल संसाधन विभाग के अधीन हुआ करता था अब वह नगरपालिका के अधीन है। जब से ये तालाब नगरपालिका के अधीन हुआ है तभी से तालाब के जल भराव क्षेत्र में कमी आती गई है। तालाब के बीचों बीच कहीं टापू निर्माण कर जल भराव क्षेत्र को पूरने का कृत किया गया तो कहीं तालाब राजनीति की भेंट चढ़ समीपस्थ कालोनाईजरों को लाभ पहुंचाने के लिए तालाब के बीच टापू स्थापित प्रतिमा लगाने-लगवाने का षणयंत्र माफियाओं द्वारा रचा गया।

साथ ही तालाब के आसपास के क्षेत्र में बेखौफ रूप से कब्जे-अतिक्रमण होना बदस्तूर जारी है। इस तरह से यहां जो जल स्त्रोत हैं उनके जल भराव को नष्ट करने के कृत माफियाओं के द्वारा किए गए।

मुख्यमंत्री के अभियान पर पर्यावरण संरक्षण के नाम पर कहीं प्रतीकात्मक पौधा-रोपण तो कहीं इस तरह से तालाबों की सफाई अभियान दिखाई दे रहे हैं।

हिन्दुस्थान समाचार/ देवेन्द्र ताम्रकार

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