आस्था के पथ पर रोज 40 किमी चलकर पूरी कर रहे ज्योतिर्लिंग यात्रा, तीन सालों में दो शिवभक्त पूरी करेंगे 12 ज्योतिर्लिंगों की यात्रा

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आस्था के पथ पर रोज 40 किमी चलकर पूरी कर रहे ज्योतिर्लिंग यात्रा, तीन सालों में दो शिवभक्त पूरी करेंगे 12 ज्योतिर्लिंगों की यात्रा


शाजापुर, 5 दिसंबर (हि.स.)। ईश्वर में आस्था और विश्वास ही वह शक्ति है जो असंभव को भी संभव बना देती है। इसी दिव्य शक्ति के सहारे राजस्थान के धौलपुर जिले के दो शिवभक्त कला भगत सिंह और लाड़सिंह देश के सभी 12 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन के लिए पैदल यात्रा पर निकले हैं। दोनों श्रद्धालुओं की यह कठिन साधना इन दिनों चर्चा का विषय बनी हुई है। अपनी यात्रा के 16वें दिन शुक्रवार को वे मध्‍य प्रदेश के शाजापुर पहुंचे, जहां उन्होंने अपनी अब तक की यात्रा के अनुभव साझा किए।

यात्रियों ने बताया कि उन्होंने संकल्प लिया है कि वे पूरे देश में स्थित 12 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन केवल पैदल ही करेंगे। प्रतिकूल मौसम, ऊबड़-खाबड़ रास्ते, थकान और कई तरह की असुविधाओं के बावजूद उनका मनोबल अडिग है। सुबह से लेकर देर शाम तक चलने के बाद वे प्रतिदिन औसतन 30 से 40 किलोमीटर की दूरी तय कर रहे हैं। अनुमान है कि इस पूरी यात्रा को पूरा करने में लगभग दो से तीन वर्ष का समय लग सकता है।

यात्रा के दौरान सबसे बड़ी चुनौती रात्रि विश्राम और सुरक्षित ठहरने की व्यवस्था रहती है। कई बार उन्हें खुले में ही रात बितानी पड़ती है, तो कई बार मंदिरों, धर्मशालाओं या ग्रामीण इलाकों में लोगों की मदद से रुकने का स्थान मिल जाता है। बावजूद इसके, दोनों शिवभक्तों ने कहा कि उनका उत्साह शिव कृपा से हमेशा बना रहता है।

कला भगत सिंह और लाड़सिंह ने यह भी बताया कि यात्रा भले ही कठिन है, लेकिन राह में मिलने वाला आमजन का सहयोग उनके लिए संबल का काम करता है। जिस-जिस गांव और कस्बे से वे गुजरते हैं, वहां के लोग श्रद्धा के साथ भोजन, पानी और आराम की व्यवस्था करते हैं। लोगों के इस सेवा भाव और स्नेह ने उनके उत्साह को और बढ़ा दिया है। उन्होंने कहा कि भारतीय समाज की यही करुणा और धार्मिक भावनाएं उनकी यात्रा को सफल बनाने का आधार बन रही हैं।

शाजापुर पहुंचने पर स्थानीय नागरिकों ने दोनों यात्रियों का गर्मजोशी से स्वागत किया और उनके संकल्प की सराहना की। कई लोगों ने यात्रा के लिए आवश्यक सामग्री भी उपलब्ध कराई। श्रद्धालुओं ने कहा कि इस तरह की यात्राएँ न केवल भक्ति का प्रतीक हैं, बल्कि समाज में प्रेम, सेवा और एकता का संदेश भी देती हैं।

अपनी आगे की योजना साझा करते हुए दोनों यात्रियों ने बताया कि शाजापुर के बाद उनका पहला प्रमुख पड़ाव उज्जैन है। वहां वे बाबा महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन करेंगे। इसके बाद वे ओंकारेश्वर की ओर प्रस्थान करेंगे और इसी क्रम में क्रमबद्ध रूप से 12 ज्योतिर्लिंगों की यात्रा पूरी करेंगे। उनका कहना है कि जब तक भगवान शिव की कृपा साथ है, तब तक कोई भी कठिनाई उनकी राह नहीं रोक सकती।

उल्‍लेखनीय है कि दोनों शिवभक्तों की यह पैदल यात्रा अटूट भक्ति का प्रतीक होने के साथ ही यह संदेश भी देती हुई आगे बढ़ रही है कि दृढ़ संकल्प और विश्वास के साथ उठाया गया हर कदम जीवन की हर चुनौती को मात दे सकता है। फिलहाल देश भर में स्थित शिवालयों की ओर बढ़ते ये कदम भक्ति, साहस और अध्यात्म की अमिट छाप छोड़ते हुए आगे बढ़ रहे हैं।

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हिन्दुस्थान समाचार / मंगल नाहर

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