झाबुआ; दीपावली रविवार तथा अन्नकूट महोत्सव मंगलवार को मनाया जाना शास्त्र सम्मत

WhatsApp Channel Join Now

झाबुआ, 8 नवंबर (हि.स.)। जिले के अधिकांश विष्णु मंदिरों में दीपावली के दूसरे दिन मनाए जाने वाले अन्नकूट महोत्सव एवं गाय गोहरी पर्व इस वर्ष दीपावली के दूसरे दिन नहीं मनाए जाएंगे। दीपावली उत्सव 12 नवम्बर को मनाए जाने के बाद अगले दिन कोई उत्सव नहीं होगा और परंपरागत रूप से मनाए जाने वाले धार्मिक एवं सांस्कृतिक परंपरा के पर्व गोवर्धन पूजा सहित अन्नकूट महोत्सव 14 नवम्बर को मनाए जाएंगे। किंतु अपवाद स्वरूप जिला मुख्यालय स्थित पुष्टिमार्गीय वल्लभाचार्य सम्प्रदाय के गोवर्धननाथ की हवेली मंदिर में परंपरागत रूप से मनाया जाने वाला अन्नकूट महोत्सव का आयोजन सोमवार को ही होगा।

दीपावली एवं अन्नकूट महोत्सव आयोजन को लेकर जिला ओर जनपद मुख्यालयों सहित जिलेभर में उत्साह का शानदार माहौल बनाना शुरू हो गया है, ओर इन महत्वपूर्ण पर्वोत्सवों को लेकर ग्रामीण क्षेत्रों के मंदिरों में पिछले सप्ताह से ही व्यापक रूप से तैयारियां शुरू कर दी गई थी, जो अब अंतिम दौर में है।

इस वर्ष अमावस्या तिथि दो होने से दीपावली पर्व सहित गोवर्धन पूजा एवं गाय गोहरी पर्व को लेकर संशय की स्थिति निर्मित हो रही थी, किंतु देश के विभिन्न पंचांङ्गों एवं उनमें प्रस्तुत शास्त्रीय मतों के प्रकाश में जिले के विद्वज्जनों द्वारा निर्णय लिया गया है कि दीपावली पर्व रविवार 12 नवंबर को ही मनाया जाएगा, किंतु दीपावली पर्व के दूसरे दिन परंपरागत रूप से मनाए जाने वाले गोवर्धन पूजा एवं गाय गोहरी उत्सव मंगलवार 14 नवम्बर को ही आयोजित किए जाएंगे।

सिद्धविजय पंचांङ्गम् के अनुसार शुभ संवत् 2080 कार्तिक कृष्ण पक्ष चतुर्दशी (दोपहर 2 बजकर 45 मिनट) के उपरांत अमावस्या रविवार दिनांक 12 नवंबर 2023 को सायंकाल सूर्यास्त समय 5 बजकर 40 मिनट से रात्रि में 8 बजकर 16 मिनट तक का शास्त्रानुमोदित प्रदोष काल श्रीमहालक्ष्मी पूजन का श्रेष्ठ मुहूर्त है। तथा इसी दिन स्थिर सिंह लग्न मध्यरात्रि में 12 बजकर 19 मिनट से 2 बजकर 31 मिनट तक रहेगा, यह मुहूर्त भी श्रेष्ठ है। जबकि इसी दिन मध्यरात्रि निशीथ काल का समय 11 बजकर 44 मिनट से 12 बजकर 36 मिनट तक है, ओर यह समयावधि श्री देवी महालक्ष्मी की विशिष्ट उपासना के लिए श्रेयस्कर है।

सिद्धविजय पंचांङ्गम् के अनुसार उपर्युक्त समयावधि में से किसी भी मुहूर्त काल में अपनी सुविधा एवं कुल परंपरा के अनुसार यथाविधि श्रीगणेश, महाकाली, महालक्ष्मी महासरस्वती, कुबेर तथा इन्द्र की मूर्ति, चित्र एवं यन्त्र ओर कलम, पुस्तक, बहीखाता आदि की पूजन करना श्रेष्ठ है। इस पर्व पर मुहूर्त काल में महालक्ष्मी के चित्र अंकित चांदी के सिक्के की पूजन की जा सकती है, किंतु चांदी की ही अन्य मुद्राओं सहित नोटों की पूजा शास्त्र विरुद्ध कही गई है। पंचाङ्गम् के अनुसार गोवर्धन पूजा एवं अन्नकूट महोत्सव मंगलवार 14 नवम्बर को ही उचित है।

उक्त पर्वोत्सवों को लेकर विद्वानों के अभिमत को जिले के अधिकांश देवस्थान प्रमुखों द्वारा मान्य किया गया है। अतः इस वर्ष दीपावली के दूसरे दिन अर्थात सोमवार को अधिकांश जगहों पर कोई उत्सव आयोजित नहीं होगा, किंतु अपवाद स्वरूप जिला मुख्यालय स्थित पुष्टिमार्गीय श्री वल्लभाचार्य सम्प्रदाय के श्री गोवर्धननाथ की हवेली मंदिर में परंपरागत रूप से आयोजित किया जाने वाला गोवर्धन पूजा एवं गाय गोहरी उत्सव श्री नाथद्वारा मंदिर से जारी टिप्पणी अनुसार सोमवार 13 नवम्बर को ही आयोजित किया जाएगा, ओर इसी दिन यहां गाय गोहरी उत्सव भी आयोजित होगा। उत्सव के अंतर्गत मंदिर प्रांगण में गौधन की विधिवत रूप से पूजा कर गायों का समूह मंदिर क्षेत्र की तीन बार परिक्रमा करते हुए अपने स्थान को लौट जाएगा।

पंचाङ्गम् के प्रकाश में उपरोक्त वर्णित दीपावली, रविवार 12 नवम्बर को श्रीमहालक्ष्मी पूजन एवं मंगलवार 14 नवम्बर को गोवर्धन पूजा के उपरोक्त श्रेष्ठ मुहूर्त की शास्त्रोक्त मीमांसा करते हुए श्री सिद्धविजय पंचाङ्गम् के संपादक एवं पंचाङ्ग कर्ता डॉ. (प्रो) विष्णु कुमार शास्त्री ने हिंदुस्थान समाचार को कहा कि श्री महालक्ष्मी पूजन में प्रदोषकाल एवं वृषभ लग्न का होना अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है। ओर चूंकि प्रदोषकालीन अमावस्या रविवार 12नवंबर को ही है, अतः इस दिन दिन सायंकाल 5 बजकर 40 मिनट से 8 बजकर 16 मिनट तक की समयावधि श्रेष्ठ मुहूर्त के रूप में कही गई है। शास्त्री के अनुसार इसी दिन उपरोक्त वर्णित अन्य मुहूर्त में भी महालक्ष्मी पूजन श्रेष्ठ है। इसी तरह गोवर्धन पूजा एवं अन्नकूट महोत्सव की चर्चा करते हुए शास्त्री ने कहा कि प्रतिप्रदा तिथि नौ मुहूर्त से अधिक होने पर ही गोवर्धन पूजा एवं अन्नकूट महोत्सव का विधान वर्णित किया गया है, ओर मंगलवार 14 नवम्बर के दिन प्रतिप्रदा तिथि दस मुहूर्त तक विद्यमान रहेगी, अतः गोवर्धन पूजा एवं अन्नकूट महोत्सव इसी दिन मनाए जाने उचित एवं शास्त्रोक्त है।

हिन्दुस्थान समाचार/ डॉ. उमेशचन्द्र शर्मा/मुकेश

Share this story