सत्संग से प्रभावित होकर 11 लोगों ने नशा-हिंसा त्यागकर दीक्षा ग्रहण की
खूंटी, 21 जनवरी (हि.स.)। महर्षि मेंही आश्रम मलियादा में चल रहे दो दिवसीय सत्संग से प्रभावित होकर रविवार को आसपास गांवों के 11 लोगों ने नशा और हिंसा को त्याग कर दीक्षा ग्रहण की। मौके पर प्रवचन करते हुए स्वामी प्रमोद जी ने कहा कि भगवान राम आंतरिक धन हैं, हृदय मिलने से ही सुख पायेगा, जैसे बालक मां से मिलकर प्रसन्न होता है। हमें परमात्मा की प्राप्ति में ही सुख-शांति मिलेंगी।
उन्होंने कहा कि बिना गुरु जीवन शुरू नहीं, गुरु बहुत हैं, पर सद्गुरु से मुक्ति का मार्ग मिलता है। जिस प्रकार गोली बंदूक में भरकर चलाने से दुश्मन मरता है, वैसे ही सद्गुरु का मंत्र जीवन में भरकर अपने अंदर की बुराइयों को मारकर ही हमें सच्चा सुख मिलेगा। स्वामी डॉ विवेकानंदजी महाराज ने कहा कि जीव अविनाशी है, अपने मन के बुरे आवरण को हटाकर ही परमात्मा की भक्ति कर सकते हैं। दुनिया स्वार्थी है, भेदभाव त्याग कर अहिंसा और परमार्थ करते रहना चाहिए।
हिन्दुस्थान समाचार/ अनिल
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