लोहरदगा में पैरा लीगल वॉलंटियर्स एवं वकीलों को नए आपराधिक कानूनों की दी जानकारी
लोहरदगा, 18 मार्च (हि.स.)। जिला विधिक सेवा प्राधिकार ने पैरा लीगल वॉलंटियर्स एवं एलएडीसीएस के अधिवक्ताओं को आज डालसा कॉन्फ्रेंस हॉल में एक जुलाई से लागू होने वाले भारतीय न्याय संहिता, भारतीय साक्ष्य अधिनियम एवं भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता के विभिन्न प्रावधानों से अवगत कराया।
प्राधिकार के सचिव राजेश कुमार ने बताया कि कानून की जानकारी नहीं होना कभी भी अपराध की सजा को कम नहीं करता है। भारतीय न्याय संहिता जो भारतीय दंड संहिता का स्थान लेगी उसमें कुल 358 धाराएं रखी गई हैं जबकि भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता जो सीआरपीसी का स्थान लेगी उसमें 531 धाराएं हैं। भारतीय साक्ष्य अधिनियम में कुल 170 धाराएं हैं। नए कानून में पुराने प्रावधानों को रखते हुए फॉरेंसिक जांच एवं अरेस्ट इत्यादि को लेकर नए प्रावधानों को जोड़ा गया है।
इसी प्रकार 144, 145 द.प्र.स. के मुकदमे जो एसडीओ कोर्ट में चलते हैं उसकी नई धाराएं 163 व 164 होंगी। इसी प्रकार मृत्यु दंड के प्रचलित धारा 302 अब नए कानून में धारा 103 के रूप में जानी जाएगी जबकि 307 जो हत्या के प्रयास से संबंधित है को नए कानून में 109 धारा के रूप में जाना जाएगा। धारा 498 ए जो महिला उत्पीड़न से संबंधित है कि नई धारा 85 होगी। दुष्कर्म की धार 376 की नई धारा 64 होगी। दहेज मृत्यु की धारा जो पूर्व में 304 बी होती थी की नई धारा 80 के रूप में जानी जाएगी।
प्रशिक्षणार्थियों को क्रिमिनल केस के अनुसंधान, ट्रायल और किस तरह केस जजमेंट तक पहुंचता है इसकी जानकारी अनुमंडलीय न्यायिक दंडाधिकारी राज कल्याण ने दी। सिविल वादों में किस प्रकार दीवानी अदालतें काम करती हैं इसकी जानकारी वरीय सिविल जज अर्चना कुमारी ने दी।
इससे पूर्व कार्यक्रम का उद्घाटन प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह अध्यक्ष डालसा राजेंद्र बहादुर पाल, प्रधान न्यायाधीश कुटुंब न्यायालय सुभाष, जिला जज अरविंद कुमार एवं अन्य न्यायिक अधिकारियों ने सम्मिलित रूप से दीप प्रज्वलित कर किया।
हिन्दुस्थान समाचार/ गोपी
/चंद्र प्रकाश
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