यदुवंशियों ने पारंपरिक गाजे बाजे के साथ की बीर कुंवर बाबा की पूजा

यदुवंशियों ने पारंपरिक गाजे बाजे के साथ की बीर कुंवर बाबा की पूजा
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यदुवंशियों ने पारंपरिक गाजे बाजे के साथ की बीर कुंवर बाबा की पूजा


पलामू, 13 नवंबर (हि.स.)। ज़िले में पारंपरिक गाजे बाजे के साथ सोमवार को बीर कुंवर बाबा की पूजा अर्चना की गई। जिले के सतबरवा, पाटन, छतरपुर, तरहसी समेत अन्य प्रखंड में इस सिलसिले में पूजा अनुष्ठान किया गया, जिसमें यदुवंशियों ने बढ़चढ़कर अपनी भागीदारी निभायी। मौके पर गायडाढ मेला का भी आयोजन किया गया, जिसमें कई जनप्रतिनिधियों एवं ग्रामीणों ने अपनी भागीदारी निभायी।

जिले के के हुसैनाबाद प्रखंड के बेल बिगहा पंचायत के काजरात नावाडीह रेलवे स्टेशन के समीप बरगद के पेड़ पास अवस्थित बीर कुंवर बाबा सहित कई गावों में स्थित बीर कुंवर बाबा की मूर्ति के पास पारंपरिक तरीके से पूजा अर्चना की गई। दीपावली की सुबह परंपरागत रूप से पशुपालक बहुल गांव में वीर कुंवर बाबा की धूमधाम से पूजा अर्चना की गई। मौके पर बाबा बीर कुंवर नाथ को बकरों की बली के अलावा दूध से बना प्रसाद जाऊर आदि चढ़ाया गया। इनकी पूजा अर्चना ढोल बाजा एवम परंपरागत गीत से शुरु हुई जिससे वातावरण भक्तिमय बना रहा।

मौके पर काजरात के चटिया सूर्यदेव यादव ने बताया कि बाबा बीरनाथ की कामना से गौवंश वृद्धि, उनकी बीमारियों से निजात व खो जाने पर मिल जाने के बाद बाबा बीर कुंवर की विशेष पूजा अर्चना की जाती है, जिसके तहत् बकरे की बली दी जाती है या बकरे को दाना चराकर जीवित छोड़ दिया जाता है, ताकि वह स्वतंत्र घूम सके। इनकी पूजा अर्चना के प्रति आस्था इन्हीं वजहों से पशुपालकों में निरंतर चली आ रही है।

वैसे तो बाबा वीर कुंवर नाथ के मुख्य पुजारी यादव जाति के ही होते हैं लेकिन अन्य जाति के लोग भी गोवंश वृद्धि की कामना के साथ गाय डार-गोवर्धन पूजा मनाते हैं।

हिन्दुस्थान समाचार/दिलीप

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