ईसीएल की वित्तीय तंगी के बीच राजमहल परियोजना में संडे हॉलीडे भुगतान पर रोक
गोड्डा, 7 दिसंबर (हि.स.)।
ईस्टर्न कोल फील्ड्स लिमिटेड (ईसीएल) की इकाई राजमहल एरिया में संडे और हॉलीडे भुगतान रोके जाने का मामला तूल पकड़ रहा है। परियोजना प्रबंधन ने इसे बढ़ते वित्तीय दबाव और कार्य-कुशलता में गिरावट से जुड़ा निर्णय बताया है, जबकि मजदूर पक्ष समान नीति लागू करने की मांग पर अड़ा हुआ है।
परियोजना के अधिकारियों के अनुसार राजमहल के कुल खर्च का लगभग 55 प्रतिशत हिस्सा मजदूरों पर होने वाले वेतन व्यय में जाता है, जिसे नियंत्रित करना अब चुनौती बन गया है। इसी कारण प्रबंधन ने कई स्तरों पर खर्च में कटौती की मुहिम शुरू की है। अधिकारियों के वाहनों में डीज़ल की कटौती, कैंटीन तक डंपर ले जाने पर रोक लगा कर सभी के लिए बस सुविधा अनिवार्य करने जैसे कदम उठाए गए हैं। इसी क्रम में संडे और हॉलीडे भुगतान पर भी सीमित नियंत्रण लागू किया गया है। इसके साथ ही कुछ संवेदकों का भुगतान दशहरा के बाद से लंबित है और सीएचपी के मजदूरों के अतिरिक्त भुगतान का बोझ भी परियोजना पर बना हुआ है।
ईसीएल के कुल उत्पादन और कामगार संरचना पर नजर डालें तो विरोधाभास साफ दिखता है। संपूर्ण ईसीएल में प्रतिदिन एक लाख 68 हजार टन कोयले का उत्पादन होता है, जिसमें अकेले राजमहल और सोनपुर–बजारी क्षेत्र करीब एक लाख टन का योगदान दे रहे हैं। इसके बावजूद पूरे ईसीएल के 46 हजार मजदूरों में से राजमहल क्षेत्र में मात्र 2 हजार मजदूर कार्यरत हैं। अधिकारियों का कहना है कि कुल कर्मियों में से केवल 10 प्रतिशत कर्मचारी ही संडे–हॉलीडे के योग्य हैं, जबकि 650 जनरल असिस्टेंट और 285 महिला कर्मियों की कार्य-कुशलता के आधार पर उन्हें विशेष सुविधा देना या न देना व्यावहारिक रूप से कठिन है। स्थानीय मजदूर नेताओं के दबाव के चलते कई बार इन सुविधाओं का समान रूप से वितरण करना पड़ता है।
वित्तीय स्थिति की बात करें तो राजमहल क्षेत्र में संडे–हॉलीडे भुगतान के लिए 28 करोड़ रुपये का अलग प्रावधान किया गया था, जिसमें नवंबर के अंत तक 27 करोड़ रूपए खर्च हो चुका है। सूत्रों के अनुसार राजस्व के मामले में बेहतर माने जाने वाले सोनपुर–बजारी क्षेत्र में भी संडे–हॉलीडे भुगतान सीमित रूप से ही दिया जा रहा है।
परियोजना के डिपार्टमेंटल उत्पादन में लगातार गिरावट भी प्रबंधन के लिए चिंता का विषय है। वार्षिक 26 हजार क्यूबिक मीटर ओबी रिमूवल लक्ष्य के विरुद्ध महज 45 प्रतिशत उपलब्धि दर्ज हुई है और कुल उत्पादन में विभागीय मजदूरों का योगदान केवल सात प्रतिशत है, जिसे प्रबंधन अतिरिक्त भुगतान के प्रतिकूल बता रहा है।
दूसरी ओर कामगारों का आरोप है कि यदि संडे–हॉलीडे रोका जा रहा है तो इसे सभी पर समान रूप से लागू किया जाए। प्रबंधन इस मांग को अव्यावहारिक बताते हुए कहता है कि बिजली, पानी और चिकित्सा जैसी आवश्यक सेवाओं में कार्य लेने के कारण संबंधित कर्मचारियों को इन सुविधाओं से वंचित नहीं किया जा सकता।
इस पूरे मामले पर ईसीएल मुख्यालय के कार्मिक महाप्रबंधक दिव्या ज्योति घोष से बात की गई तो उन्होंने इसे प्रबंधन स्तर का मामला बताते हुए किनारा कर लिया।
संडे–हॉलीडे भुगतान पर रोक का यह विवाद न सिर्फ वित्तीय दबाव को उजागर करता है, बल्कि राजमहल परियोजना में उत्पादन क्षमता और मानव संसाधन प्रबंधन की जटिलताओं को भी सामने लाता है। आगे देखना होगा कि प्रबंधन इस पूरे मामले को किस प्रकार से निपटाती है।
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हिन्दुस्थान समाचार / रंजीत कुमार

