पलामू में एनएच 75 निर्माण में 200 एकड़ भूमि अधिग्रहण के लिए रैयतों के साथ प्रशासन की बातचीत
पलामू, 28 मई (हि.स.)। एनएच 75 के निर्माण में 200 एकड़ भूमि अधिग्रहण में देरी हो रही है, जिससे सरकार एवं प्रशासन की परेशानी बढ़ी हुई है। रैयतों को जमीन देने पर काफी कम मुआवजा मिल रहा है, जिससे असंतोष की भावना बनी हुई। रैयत अपनी जमीन देने को तैयार नहीं हैं। ऐसे में 300 मामले एसी कोर्ट में चल रहे हैं। ऐसी स्थिति में रैयतों के साथ समन्वय बनाने की कोशिश तेज की गयी है।
जिले के सतबरवा प्रखंड कार्यालय के सभागार में मंगलवार को भूमि उपसमाहर्ता पलामू कुंदन कुमार तथा सदर अनुमंडल पदाधिकारी अनुराग तिवारी की अध्यक्षता में बैठक हुई, जिसमें पदाधिकारियों ने रैयतों के साथ एनएचएआई द्वारा भूमि अधिग्रहण में हो रही देरी को सुलझाने का प्रयास किया। अंचल अधिकारी कृष्ण मुरारी तिर्की ने मुआवजा में होने वाली परेशानी तथा जिन रैयतों की जमीन जा रही है, उनकी समस्या सुनी।
रैयत संघर्ष समिति सतबरवा ने भूमि संबंधी मामले में कम मुआवजा देने की बात कही। कहा कि इसी कारण रैयत नाराज चल रहे हैं तथा बाजार दर से भू-अर्जन से भुगतान कराने की मांग करते आ रहे हैं। ठेमा गांव के संजय प्रसाद यादव ने कहा कि उनकी एक एकड़ 75 डिसमिल जमीन एनएचएआई द्वारा सड़क बनाने के लिए अधिग्रहण किया जाना है, जिसका मुआवजा प्रति डिसमिल 15,700 रुपये निर्धारित किया गया है जबकि हाल में बेची गई जमीन का डीड चार से पांच लाख प्रति डिसमिल का रहा है। एसी कोर्ट में चल रहे मामले में डीड की कॉपी नहीं लगाई गई है। उन्होंने कहा कि हमारे गांव में शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय, बेसिक स्कूल, बीआरसी, कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय, थाना, ब्लॉक और अंचल कार्यालय है।
पिपरा कला गांव के सुभाष चंद्र बोस ने कहा कि हमलोग निर्माण कार्य के विरोधी नहीं हैं। उनका आग्रह है कि जो जमीन संबंधी मुआवजा के लिए राशि मुकर्रर की गई है, उसमें सुधार कर दिया जाए ताकि लोगों का जीवन बसर अच्छे ढंग से हो सके। हमारे गांव का जो खेत जा रहा है, उसमें तीनों फसलें उगाई जाती हैं। कसियाडीह गांव के जयनाथ साहू ने कहा कि हमलोगों की जो जमीन और मकान जा रहा है, वह काफी कीमती है जबकि हमारे यहां सरकार ने जमीन का रेट जो तय किया है, वह काफी कम है। उन्होंने कहा कि हम सरकार और प्रशासन से आग्रह करते हैं कि जमीन आप ले लिजिए लेकिन उतनी ही जमीन दूसरी जगह पर दी जाए।
बकोरिया के पीतांबर यादव ने कहा कि दो एकड़ 15 डिसमिल उसकी जमीन सड़क में जा रही है, जिसका रेट प्रति डिसमिल 16,000 रुपये के करीब है। कम से कम एक लाख रुपये प्रति डिसमिल जमीन का मुआवजा मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि कई ऐसे रैयत हैं, जिनका म्यूटेशन एवं अन्य कागजात में परेशानी हो रही है। प्रशासन को चाहिए कि उसका भी हल निकाल कर उसे भी लाभान्वित की जाए।
रैयत संघर्ष समिति के अध्यक्ष संत कुमार मेहता ने कहा कि सरकार और प्रशासन के विरुद्ध बात नहीं करेंगे। नियम के अनुसार बात करेंगे लेकिन हमलोगों को कम मुआवजा मिल रहा है, जिसके कारण रैयत काफी परेशान हैं। 300 से ज्यादा रैयतों का मामला एसी कोर्ट में चल रहा है। आज इसी मामले को लेकर प्रशासन और रैयत में सामंजस्य बनाने की कोशिश की जा रही है।
मुआवजा लेने के बाद डीड के अनुसार कर सकते हैं दावा: एसी
एडिशनल कलेक्टर कुंदन कुमार ने बताया कि सरकार द्वारा जिन गांवों का रेट तय किया गया है, उस रेट के अनुसार आप मुआवजा ले लें। इसके बाद यदि कहीं पर भी सड़क बनाए जाने के पहले की जमीन बिक्रीनामा का डीड प्रस्तुत करने पर आपको फिर से दावा के अनुसार भुगतान मिल सकता है।
लैंड एकुजेशन के अनुसार मिलेगा मुआवजा: एसडीएम
सदर अनुमंडल पदाधिकारी अनुराग तिवारी ने बताया कि लैंड एकुजेशन के अनुसार प्रशासन से जो रेट तय किया जाता है, उसी के अनुसार आपकी अधिग्रहित भूमि का मुआवजा मिलेगा। उन्होंने कहा कि जमीन अधिग्रहण के पहले का बिक्रीनामा का डीड होना चाहिए, तब आपको उसी का आधार बनाकर मुआवजा के लिए लिखा जाएगा। फिलहाल भू-अर्जन को रैयतों को देने के लिए मुआवजा की राशि मुहैया करा दी गई है।
उल्लेखनीय है कि 11 मई को संवेदक भारत वाणिज्य कंपनी के चार कर्मियों के साथ मारपीट करने का मामला थाना जा पहुंचा था। 20 पंचायत के 500 से अधिक रैयतों को 220 एकड़ जमीन अधिग्रहण करने का नोटिस दिया गया है तथा एलपीसी बनवाने के लिए कहा जा रहा है।
हिन्दुस्थान समाचार/ दिलीप कुमार/चंद्र प्रकाश
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