सरना धर्म कॉलम और मुंडारी भाषा को संवैधानिक मान्यता दे सरकार: सुमित गुड़िया

सरना धर्म कॉलम और मुंडारी भाषा को संवैधानिक मान्यता दे सरकार: सुमित गुड़िया
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सरना धर्म कॉलम और मुंडारी भाषा को संवैधानिक मान्यता दे सरकार: सुमित गुड़िया


खूंटी, 13 दिसंबर (हि.स.)। सरना धर्म कॉलम और मुंडारी भाषा को संवैधानिक मान्यता देने की मांग को लेकर सुमित गुड़िया के नेतृत्व में नौ राज्यों के आदवासी युवाओं ने बुधवार को केंद्रीय जनजातीय और कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा से कृषी भवन में मिलकर ज्ञापन सौंपा। प्रतिनिधिमंडल में झारखंड ,उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, जम्मू कश्मीर, कर्नाटक, महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश, बिहार और नगालैंड के आदिवासी युवा शामिल थे।

प्रतिनिधिमंडल ने केंद्रीय मंत्री को बताया कि भारत के जनगणना प्रपत्र में प्राकृतिक पूजक आदिवासियों के लिए अलग से सरना धर्म कॉलम अनुच्छेद 25 के तहत धार्मिक एवं मुंडारी भाषा को संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल कर संवैधानिक मान्यता 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले सरकार प्रदान करे। ज्ञापन में कहा गया कि हम भारत के प्राकृतिक पूजक आदिवासियो ने सदियों से अपनी भाषा, संस्कृति, परंपराओं को मानते आ रहे हैं, जो प्रकृति पर आधारित है।

आदिवासी जल, जंगल, जमीन, पहाड़-पर्वत जीव-जंतु की पूजा करते हैं। कहा गया कि आज़ादी के पूर्व ब्रिटिश इंडिया में भी अंग्रेजों ने आदिवासियों के लिए अलग से जनगणना प्रपत्र में धार्मिक पहचान की व्यवस्था की थी, लेकिन आजाद भारत की प्रथम जनगणना में आदिवासियों की धार्मिक पहचान जनगणना प्रपत्र से सड़यंत्र के तहत 1961 में इसे हटा दिया गया। आदिवासियों के जनगणना प्रपत्र में धार्मिक कॉलम न होने के कारण आदिवासियों को हिंदू, इसाई, बौद्ध, जैन , इस्लाम जैसे धर्म में हमारी जनगणना की जाती है। इससे हमारी पहचान पर खतरा उत्पन्न होता जा रहा है।

हिन्दुस्थान समाचार/ अनिल

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