झारखंड विधानसभा का शीतकालीन सत्र शुरू, अध्यक्ष ने विकास व संवाद की भावना को सर्वोपरि बताया
रांची, 5 दिसंबर (हि.स.)। झारखंड विधानसभा का शीतकालीन सत्र शुक्रवार से प्रारम्भ हो गया। सत्र की शुरुआत में विधानसभा अध्यक्ष रवींद्र नाथ महतो ने कहा कि झारखंड में विकास की अपार संभावनाएं हैं और इन्हें जनहित में रूपांतरित करना हम सभी की जिम्मेदारी है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व में राज्य और तेजी से आगे बढ़ेगा।
विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि सदन की गरिमा तभी बनी रहती है जब मतभेदों के बावजूद संवाद की पवित्रता बरकरार रखी जाए और लोकतंत्र की असल भावना को उभारा जाए। उन्होंने कहा कि विचारों की विविधता से ही सदन का इंद्रधनुष बनता है और सहमति-असहमति की धाराओं से शासन चलता है।
अध्यक्ष ने विधायकों से अपील की कि वे सत्र में अधिकतम भागीदारी सुनिश्चित करें, प्रश्नों को सारगर्भित रखें, बहसों को तथ्यपूर्ण बनाएं और निर्णयों को जनहित के आधार पर परखें। उन्होंने कहा कि यह सदन केवल भवन नहीं, बल्कि जनता की आशाओं का प्रतीक है।
अध्यक्ष के अनुसार, इस शीतकालीन सत्र में कुल पांच कार्यदिवस निर्धारित हैं। 8 दिसंबर से प्रश्नकाल शुरू होगा। वित्तीय वर्ष 2025–26 के द्वितीय अनुपूरक व्यय विवरणी तथा विनियोग विधेयक प्रस्तुत किए जाएंगे। 10 और 11 दिसंबर को राजकीय विधेयक एवं अन्य सरकारी कार्य लिए जाएंगेए जबकि 11 दिसंबर को गैर-सरकारी सदस्यों के कार्यों के लिए समय तय किया गया है।
झारखंड की रजत जयंती का उल्लेख करते हुए रवींद्र नाथ महतो ने कहा कि यह केवल उत्सव नहीं, बल्कि आत्ममंथन, विकास और नए संकल्पों का अवसर है। उन्होंने राज्य की 25 वर्ष की विकास यात्रा को महत्वपूर्ण बताया और कहा कि बुनियादी ढांचे, शिक्षा, स्वास्थ्य, सामाजिक सशक्तिकरण और आजीविका के क्षेत्र में प्रगति हुई है, परंतु अभी लंबा मार्ग तय करना शेष है। दूरदराज़ क्षेत्रों में सुविधाओं का विस्तार, युवाओं के लिए बेहतर अवसर, आदिवासी-मूलवासी समुदायों का समावेशी उत्थान और प्राकृतिक संसाधनों का संतुलित उपयोग अभी भी राज्य की प्राथमिकताएं हैं।--------------
हिन्दुस्थान समाचार / विकाश कुमार पांडे

