ऑड्रे हाउस में नाची से बाची नामक जनजातीय स्वशासन महोत्सव शुरू

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ऑड्रे हाउस में नाची से बाची नामक जनजातीय स्वशासन महोत्सव शुरू


रांची, 23 दिसंबर (हि.स.)। ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री दीपिका पांडे सिंह ने कहा कि झारखंड में पेसा कानून लागू करना सरकार की प्राथमिकता में रही है। उन्होंने कहा कि लोगों से मिले सुझाव पर सरकार ने इसे कैबिनेट से पारित कर दिया है। मंत्री मंगलवार को ऑड्रे हाउस में आयोजित दो दिवसीय नाची से बाची जनजातीय स्वशासन महोत्सव के उद्घाटन के बाद बोल रही थीं।

इस अवसर पर मंत्री ने पंचायत पत्रिका का लोकार्पण किया और पंचायत पोर्टल का भी उद्घाटन किया।

स्वशासन लागू कर दिशोम गुरु के सपनों को करेंगे पूरा

मंत्री ने कहा कि हमारी सरकार ऐसा पेसा कानून पेश किया है जिससे पूरा देश झारखंड का उदाहरण पेश कर सकेगा। उन्होंने कहा कि सुशासन सुनिश्चित होना चाहिए। सरकार की ओर से ग्राम सभा को सशक्त किया जा रहा है। हमलोग किसी व्यक्ति विशेष को सुरक्षित न कर समूह को सुरक्षित करने की दिशा में प्रयासरत है। ग्राम सभा में हर समाज के लोगों को अपनी बातें रखने का अधिकार होगा।

सुशासन को मजबूत करना सरकार की जिम्मेदारी

उन्होंने कहा कि स्वशासन लागू कर हमलोग दिशोम गुरु शिबू सोरेन के सपनों को पूरा कर पाएंगे। मंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के निर्देश पर पेसा कानून को लागू कर सुशासन को मजबूत करना सरकार की जिम्मेदारी है और हम जल्द ही इस मुकाम तक पहुंच जाएंगे।

पंचायती राज की निदेशक राजेश्वरी बी ने कहा कि दो दिवसीय नाची से बाची जनजातीय स्वशासन महोत्सव में कई तकनीकी सत्र भी होंगे। इसमें पेसा से संबंधित कई पहलू पर विचार किया जाएगा।

इसके पूर्व नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी रांची के प्रोफेसर रामचंद्र उरांव ने कहा कि राज्य के अधिकतर आदिवासी ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करती है।

पद्मश्री रामदयाल मुंडा के पुत्र शोधार्थी गुंजन ईकिल मुंडा ने कहा कि हम आधार को भूल जाते हैं। उन्होंजने कहा कि मंडा यात्रा को देखें तो लगेगा कि वहां नाच गाना हो रहा है पर उसकी आत्मस्वशासन है। इसके पूर्व व्यवस्था एक छोटा स्थान पर वहां बैठक कर लोग बात करते हैं। वरिष्ठ साहित्यकार महादेव टोप्पो ने कहा कि नाची से बाची को हमलोग कम समझ पाते हैं इसके पीछे के दर्शन को समझना होगा। उन्होंने कहा कि हमारे आसपास जो प्राकृतिक संसाधन है उसे देखभाल करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि आज आदिवासियों की भाषा और संस्कृति पर चिंतन और मनन करने की जरूरत है।

इस अवसर पर विभाग के कई वरिष्ठ अधिकारी, कर्मचारी और राज्य के विभिन्न जिलों से आए प्रतिनिधि उपस्थित थे।

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हिन्दुस्थान समाचार / Vinod Pathak

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