वैकुंठ एकादशी पर वेंकटेश्वर मंदिर में दक्षिण भारतीय श्रद्धालुओं की लगी कतार

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वैकुंठ एकादशी पर वेंकटेश्वर मंदिर में दक्षिण भारतीय श्रद्धालुओं की लगी कतार


रांची, 30 दिसंबर (हि.स.)। पृथ्वी का वैकुंठ कहे जाने वाले तिरुमल तिरुपति देवस्थानम के तर्ज पर द्रविड़ शैली में बने रांची में स्थित श्रीलक्ष्मी वेंकटेश्वर (तिरुपति बालाजी) मंदिर में मंगलवार को वैकुंठ एकादशी व्रत मनायी गई।

इस एकादशी के अवसर पर चार दिवसीय वैकुंठ महोत्सव मनाये जा रहे हैं, जो कि एक जनवरी को संपन्न होगा। महोत्सव के दूसरे दिन सहस्त्रनाम अर्चना अनुष्ठान में भक्तों की भीड़ से मंदिर परिसर खचाखच भरा हुआ था। तमिलनाडु, तेलांगना, आंध्रप्रदेश, कर्नाटक के निवासी जो रांची में रहते हैं वे बहुतायत संख्या में पहुंचे सहस्त्रनाम अर्चना अनुष्ठान में सहभागी बने। मंगलवार के चारों पाली के सहस्त्रार्चन में 150 परिवारों ने सहभागिता दिया। इस दौरान श्रीधाम वृंदावन से पधारे जगद्गुरु रामानुजाचार्य श्रीस्वामी अनिरुद्धाचार्य जी महाराज और उनके सहयोगी श्रीगोविन्ददास जी महाराज के हाथों संकल्प कराकर पूजन शुरू हुआ।

बैकुंठ लोक का द्वार खुलता है शुक्ल पक्ष की एकादशी को : रामानुजाचार्य

इस पुण्य अवसर पर जगद्गुरु रामानुजाचार्य श्रीस्वामी जी महाराज ने कहा कि वैकुंठ एकादशी धनुर्मास मास के दौरान शुक्ल पक्ष की एकादशी को होता है। यह माना जाता है कि बैकुंठ लोक का द्वार इस दिन खुलता है।

वैकुंठ एकादशी के दिन भगवान अपने प्रिय भक्तों से मिलने के लिए आते हैं। सभी भक्तआ भगवान का मंगलानुशासन करते हैं, मंगल कामना करते हैं और भगवान का दर्शन करके धन्य होते हैं। इस दौरान भक्त भगवान का गुणगान करते हैं तो भगवान बहुत प्रसन्न होते हैं, क्योंकि भगवान का नाम भगवान का ही रूप है। भगवान के नाम, रूप, लीला-धाम का गुणगान करके संसार के लोगों का कल्याण होता है।

उन्‍होंने कहा कि संसार के लोग भगवान को मानते हैं, लेकिन वे अच्छी तरह नहीं जानते।

वैकुंठ एकादशी के उपलक्ष्य पर भगवान का महाभिषेक हुआ। अभिषेक के यजमान सुनील केजरीवाल और रनकी पत्नी सुमन केजरीवाल थे।

सहस्त्रनाम अर्चना में राम अवतार नरसरिया, अनूप अग्रवाल, घनश्याम दास शर्मा, उदय राठौर, सुरेश प्रसाद सिंह, श्याम किशोर मिश्रा, गौरीशंकर साबू, आयुष अग्रवाल सहित अन्य लोगों ने परिवार सहित यजमान की भूमिका निभाई।

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हिन्दुस्थान समाचार / Vinod Pathak

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