पित्त रोगियों के लिए पारस हॉस्पिटल में स्पाइग्लास एंडोस्कोपी की शुरूआत
रांची, 27 दिसंबर (हि.स.)। झारखंड की राजधानी रांची में स्थित पारस एचईसी हॉस्पिटल ने गैस्ट्रोएंटरोलॉजी के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल करते हुए शनिवार को अत्याधुनिक एंडोस्कोपी तकनीक “स्पाइग्लास” की शुरुआत की। इस तकनीक के माध्यम से अब पित्त की नली (बाइल डक्ट) के जटिल पत्थरों और कैंसर का सटीक और आधुनिक उपचार रांची में ही संभव हो सकेगा।
पारस हॉस्पिटल में शनिवार को आयोजित प्रेस वार्ता के दौरान गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग के डॉ. ब्रिगेडियर आलोक चंद्रा ने बताया कि स्पाइग्लास तकनीक के आने से मरीजों को अब जटिल और बड़ी सर्जरी से राहत मिलेगी। उन्होंने कहा कि इस आधुनिक मशीन की मदद से उन मामलों का भी इलाज संभव हो गया है, जो पहले सामान्य ईआरसीपी प्रक्रिया से संभव नहीं हो पाते थे।
डॉ. आलोक चंद्रा ने जानकारी दी कि इस तकनीक का पहला सफल प्रयोग 23 दिसंबर को एक ऐसे मरीज पर किया गया, जिसकी पित्त की नली में अत्यंत बड़े और जटिल पत्थर थे। पारंपरिक पद्धति से उन्हें निकालना संभव नहीं था, लेकिन स्पाइग्लास तकनीक की सहायता से पत्थरों को सफलतापूर्वक हटाया गया। मरीज को प्रक्रिया के मात्र दो दिन बाद अस्पताल से छुट्टी दे दी गई, जो इस तकनीक की प्रभावशीलता को दर्शाता है।
उन्होंने बताया कि स्पाइग्लास एंडोस्कोपी के तहत पित्त की नली के भीतर एक अत्यंत सूक्ष्म एंडोस्कोप डाला जाता है। इसके माध्यम से इलेक्ट्रोहाइड्रोलिक लिथोट्रिप्सी (शॉक वेव जनरेटर) का उपयोग कर बड़े पत्थरों को छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़ा जाता है, जिससे पित्त की नली की पूरी तरह सफाई हो जाती है।
यह तकनीक पित्त की नली के कैंसर के उपचार में भी मील का पत्थर साबित होगी। इसके जरिए चिकित्सक कैंसर से प्रभावित हिस्से को प्रत्यक्ष रूप से देख सकते हैं और वहीं से सटीक बायोप्सी ले सकते हैं। इसके अलावा, यदि ट्यूमर के कारण पित्त की नली में रुकावट उत्पन्न हो जाए, तो लेजर तकनीक की सहायता से रास्ता बनाकर स्टेंटिंग भी की जा सकती है।
इस अवसर पर पारस हॉस्पिटल के फैसिलिटी डायरेक्टर डॉ. नीतेश कुमार ने कहा कि पारस हॉस्पिटल, रांची का लक्ष्य गैस्ट्रोएंटरोलॉजी और एंडोस्कोपी सेवाओं को निरंतर उन्नत करना है, ताकि झारखंड के मरीजों को विश्वस्तरीय चिकित्सा सुविधाएं स्थानीय स्तर पर ही उपलब्ध कराई जा सकें। उन्होंने कहा कि इस अत्याधुनिक तकनीक की शुरुआत से राज्य के मरीजों को इलाज के लिए अब बड़े महानगरों की ओर रुख नहीं करना पड़ेगा, जिससे समय और खर्च दोनों की बचत होगी।------------
हिन्दुस्थान समाचार / Manoj Kumar

