किताबों से बेहतर साथी मोबाइल नहीं हो सकता: संजय सेठ

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किताबों से बेहतर साथी मोबाइल नहीं हो सकता: संजय सेठ


-राष्ट्रीय पुस्तक मेले का रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ ने किया शुभारंभ

रांची, 26 दिसंबर (हि.स.)। किताबों का कोई विकल्प नहीं हो सकता और मोबाइल कभी भी पुस्तकों का स्थान नहीं ले सकता। बच्चों के हाथों में मोबाइल के बजाय पुस्तकें होनी चाहिए, क्योंकि पुस्तकें उनके जीवन को बेहतर, संवेदनशील और अधिक मानवीय बनाती हैं। यह बातें केन्द्रीय रक्षा राज्य मंत्री एवं रांची सांसद संजय सेठ ने शुक्रवार को कही। वे समय इंडिया, नई दिल्ली के तत्वावधान में रांची के जिला स्कूल मैदान में आयोजित 10 दिवसीय राष्ट्रीय पुस्तक मेला के विधिवत शुभारंभ अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे।

रक्षा राज्य मंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि उत्तर प्रदेश की तर्ज पर झारखंड के सभी सरकारी एवं निजी विद्यालयों में शासकीय स्तर पर पुस्तकें उपलब्ध कराने की व्यवस्था सुनिश्चित की जानी चाहिए। इससे बच्चों में पठन-पाठन की संस्कृति विकसित होगी। उन्होंने कहा कि जब पुस्तकें आसानी से उपलब्ध होती हैं, तभी बच्चों में पढ़ने की रुचि पैदा होती है। अगर पुस्तकें नहीं होतीं, तो हम अपनी परंपरा, संस्कृति, इतिहास और ज्ञान-संपदा से परिचित नहीं हो पाते।

वर्तमान समय में बढ़ते डिजिटल प्रभाव पर चिंता व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि तकनीक का उपयोग आवश्यक है, लेकिन पुस्तकें जीवन का आधार हैं, जो सोचने, समझने और सही निर्णय लेने की क्षमता विकसित करती हैं।

इस अवसर पर वरिष्ठ पत्रकार पद्मश्री बलबीर दत्त और अनुज कुमार सिन्हा ने कहा कि पुस्तकें व्यक्ति के व्यक्तित्व विकास का सर्वोत्तम माध्यम हैं। उन्होंने कहा कि विश्व के महान व्यक्तियों के जीवन में आए सकारात्मक बदलावों के पीछे पुस्तकों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। आज के दौर में जब चारों ओर सूचना और तकनीक के अनेक माध्यम मौजूद हैं, तब पुस्तकों से जुड़ना और उन्हें जीवन का हिस्सा बनाना पहले से कहीं अधिक जरूरी हो गया है।

राष्ट्रीय पुस्तक मेले के आयोजक एवं समय इंडिया के प्रबंध न्यासी चन्द्र भूषण ने आगत अतिथियों का स्वागत शाल और ‘बुके नहीं, बुक’ भेंट कर परंपरागत एवं वैचारिक तरीके से किया। अपने स्वागत वक्तव्य में उन्होंने कहा कि रांची में आयोजित यह पुस्तक मेला केवल एक आयोजन नहीं, बल्कि पुस्तक आंदोलन का हिस्सा है।

उन्होंने पुस्तक प्रेमियों से अपील की कि अधिक से अधिक संख्या में मेला परिसर में आएं, पुस्तकें खरीदें और नए वर्ष पर अपने प्रियजनों को उपहार में पुस्तकें भेंट करें, क्योंकि पुस्तक से बेहतर और स्थायी उपहार कोई नहीं हो सकता।

शुभारंभ के बाद सभी अतिथियों ने पुस्तक मेला परिसर का भ्रमण किया और विभिन्न स्टॉल्स पर प्रदर्शित पुस्तकों का अवलोकन किया। उन्होंने मेले के आयोजन, पुस्तकों की विविधता और प्रस्तुति की सराहना की।

इस अवसर पर नगर के अनेक बुद्धिजीवी, संस्कृति प्रेमी, पत्रकार और पुस्तक प्रेमी उपस्थित रहे। प्रमुख रूप से रांची विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग के पूर्व अध्यक्ष डॉ. जंगबहादुर पाण्डेय, झारखंड हिन्दी साहित्य मंच के अध्यक्ष निरंजन कुमार श्रीवास्तव सहित कई गणमान्य लोग मौजूद थे। शुभारंभ समारोह के मंच का संचालन सोनम और संध्या ने संयुक्त रूप से किया।

‘झारखंड के क्रांतिकारी’ का लोकार्पण

राष्ट्रीय पुस्तक मेले के दौरान समय प्रकाशन समूह, नई दिल्ली की ओर से प्रकाशित ‘झारखंड के क्रांतिकारी’ नामक चार खंडों की महत्वपूर्ण पुस्तक का लोकार्पण किया गया। इस अवसर पर केन्द्रीय रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ, राज्यसभा सांसद महुआ माजी, पद्मश्री बलबीर दत्त और वरिष्ठ पत्रकार अनुज कुमार सिन्हा ने संयुक्त रूप से पुस्तक का विमोचन किया।

उल्लेखनीय है कि इन चार खंडों में झारखंड के 28 क्रांतिकारियों की संघर्षगाथा को विस्तार से प्रस्तुत किया गया है। पुस्तक को आकर्षक और ज्ञानवर्धक बनाने के लिए इसे रंगीन चित्रों से सुसज्जित किया गया है, जिससे नई पीढ़ी को राज्य के स्वतंत्रता सेनानियों और क्रांतिकारियों के योगदान से परिचित कराया जा सके।-------------

हिन्दुस्थान समाचार / विकाश कुमार पांडे

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