बाल विवाह कराने पर दो साल की सजा और एक लाख जुर्माने का है प्रावधान : वीरेंद्र
रांची, 20 दिसंबर (हि.स.)। झालसा के अध्यक्ष सह न्यायायुक्त अनिल कुमार मिश्रा-1 के मार्गदर्शन में नामकुम प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत आशा एनजीओ, भुसुर में बाल विवाह के रोकथाम के लिए विधिक जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन शनिवार को किया गया।
यह जागरूकता कार्यक्रम बाल विवाह के खिलाफ 100 दिवसीय कार्रवाई के तहत नालसा की ओर से संचालित किया गया। इसमें आशा अभियान के तहत एलएडीसी सदस्य वीरेंद्र प्रताप, पीएलवी लता कुमारी, युधिष्ठिर महतो, प्रीति कुमारी, डॉ अनिल कुमार वर्मा, विनोद कच्छप, प्रदीप नाथ और राजा वर्मा सहित अन्य लोग उपस्थित थे।
इस अवसर पर वीरेंद्र प्रताप ने कहा कि भारत में बाल विवाह को रोकने के लिए बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 लागू है, जिसके अनुसार लड़के की शादी की न्यूनतम आयु 21 वर्ष और लड़की की न्यूनतम आयु 18 वर्ष निर्धारित है। इनसे कम आयु में किया गया विवाह कानूनन अपराध है। इस अधिनियम के अंतर्गत माता-पिता, अभिभावक, रिश्तेदार या कोई भी व्यक्ति जो बाल विवाह कराता है तो वह कानूनन अपराधी माना जाता है। इसके विरुद्ध दो वर्ष तक के कारावास और एक लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है।
एलएडीसी सदस्य ने कहा कि यह अधिनियम बाल विवाह को रद्द करने योग्य विवाह घोषित करता है, जिसके अंतर्गत बालिग होने के दो वर्ष के भीतर पीड़ित पक्ष विवाह निरस्त कराने के लिए न्यायालय में आवेदन कर सकता है। उन्होंने बताया कि कुछ परिस्थितियों में ऐसा विवाह पूर्णतः अवैध घोषित किया जाता है। न्यायालय को यह अधिकार प्राप्त है कि वह संभावित बाल विवाह को रोकने के लिए आवश्यक निषेधाज्ञा जारी करे। बालिका या बालक की सुरक्षा सुनिश्चित करे और जरूरत पड़ने पर संरक्षण गृह में रखने का आदेश दे। बाल विवाह की सूचना मिलते ही जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, चाइल्डलाइन-1098 अथवा निकटतम थाने को सूचित करना प्रत्येक नागरिक का कानूनी एवं नैतिक दायित्व है।
वीरेन्द्र ने टॉल फ्री नंबर 15100 के बारे में भी बताया।
पीएलवी डॉ अनिल कुमार वर्मा ने उपस्थित लोगों को नालसा की ओर से संचालित स्कीम के बारे में कहा कि नशा से तन-मन-धन की हानि होती है। उन्होंने कहा कि युवा नशा नहीं करें, बल्कि पहले अपने भविष्य को संवारें।
---------------
हिन्दुस्थान समाचार / Vinod Pathak

