दो वर्ष बाद भी मुरूमातू के महादलितों को नहीं बसाया गया: राधाकृष्ण किशोर

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दो वर्ष बाद भी मुरूमातू के महादलितों को नहीं बसाया गया: राधाकृष्ण किशोर


दो वर्ष बाद भी मुरूमातू के महादलितों को नहीं बसाया गया: राधाकृष्ण किशोर


पलामू, 22 जून (हि.स.)।जिले के पांडु थाना क्षेत्र के मुरूमातु गांव के महादलित मुसहर परिवार को अभी तक पुनर्वासित नहीं किया जा चुका है। तत्कालीन प्रखंड विकास पदाधिकारी के अनुसार विगत पांच वर्षों से मुसहर परिवार के सदस्य मुरूमातु गांव के खाता सं.-44, प्लॉट सं.-437 में मकान बनाकर रहते आ रहे थे। 29 अगस्त 2022 को कुछ असामाजिक तत्वों के द्वारा उनके कच्चे मकान को ढ़ाह कर परिवार के लोगांे को जबरन गाड़ी में बैठाकर लोटो जंगल में छोड़ दिया गया था। असामाजिक तत्वों का यह अमानवीय कृत्य था। उक्त बातंे पूर्व विधायक राधाकृष्ण किशोर ने कही। शनिवार को पत्रकारों से बात कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि अंचल अधिकारी के प्रतिवेदन के अनुसार मुरूमातु थाना नं.-595, खाता सं.-44, प्लॉट सं.-437 किसी के नाम से बंदोबस्त नहीं है। ऐसी परिस्थिति में मुसहर परिवार के लोग जब पिछले पांच वर्षों से मकान बनाकर रहते आ रहे थे, तब पांडू प्रशासन के पदाधिकारियों के द्वारा समाज के अत्यंत पिछड़ा वर्ग मुसहर जाति के लोगों के लिए उक्त प्लॉट की बंदोबस्ती क्यों नहीं की गयी? तत्कालीन पांडु प्रशासनिक पदाधिकारियों ने यह भी जानने की कोशिश नहीं की कि भूमिहीन मुसहर परिवार के लोग किस अवस्था में रह रहे हैं। यदि वे भूमिहीन थे तो उनके लिए सुयोग स्थान पर सरकारी भूमि उपलब्ध कराकर उन्हें पुनर्वासित करने की जिम्मेवारी पांडु प्रशासन के पदाधिकारियों की थी। झारखंड सरकार का यह संकल्प भी है कि राज्य के भूमिहीन व्यक्तियों के लिए आवास एवं खेती के लिए जमीन उपलब्ध कराया जाये। सरकार के उक्त संकल्प के क्रियान्वयन में पांडु के तत्कालीन संबंधित पदाधिकारी बाधक प्रमाणित हुए हैं। मेरे दृष्टिकोण से सरकारी संकल्प के क्रियान्वयन के बाधक प्रशासनिक पदाधिकारियों के विरूद्ध कार्रवाई की आवश्यकता होनी चाहिए।

29 अगस्त 2022 को जब मुरूमातु गांव अवस्थित मुसहर परिवार को विस्थापित कर दिया गया तब आनन-फानन में जिला तथा पांडु प्रशासन के पदाधिकारियों के द्वारा बिना जमीन की बंदोबस्ती किए मुरूमातु गावं से पांच किमी. की दूरी पर नेवरी गांव के बांकी नदी के किनारे अम्बेडकर आवास निर्माण की स्वीकृति का पत्र निर्गत किया गया। नेवरी गांव के ग्रामीणों ने अंचल अधिकारी, पांडु को लिखित आवेदन देकर कहा है कि खाता सं.-42, प्लॉट सं.-37 में कोई जमीन खाली नहीं है। पीड़ित मुसहर परिवार के लोगों ने भी शपथ पत्र दायकर कर कहा है कि तत्कालीन प्रखंड विकास पदाधिकारी ने बहला-फुुसलाकर तथा धोखे में रखकर अम्बेडकर आवास उन्हें दी गयी है। उक्त नेवरी गांव के जमीन पर वे नहीं बसेंगे।

इस मामले में तत्कालीन प्रखंड विकास पदाधिकारी राहुल उरांव ने पांडु थाना में प्राथमिकी (सं.-69/22) दर्ज कराते हुए कहा है कि धर्मदेव यादव व अन्य व्यक्तियों के द्वारा ग्राम नेवरी में सरकारी अम्बेडर आवास नहीं बनने दिया जा रहा है तथा मुसहर-मुसलमान के बीच विवाद उत्पन्न कर अशांति फैलायी जा रही है। प्रश्न यह उठता है कि जब अंचल अधिकारी के प्रतिवेदन के अनुसार मुरूमातु गांव के खाता-44, प्लॉट-434 किमी धर्म-समुदाय या व्यक्ति के नाम से बंदोबस्त नहीं है तब प्राथमिकी में मुसहर-मुसलमान के बीच शांति भंग करने का क्या औचित्य है? क्या यह तत्कालीन प्रखंड विकास पदाधिकारी, पांडु के द्वारा मुसहर-मुसलमान के बीच विवाद बढ़ाने की साजिश तो नहीं है?

हिन्दुस्थान समाचार/दिलीप

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