साइबर अपराध पर रोक को लेकर डालसा ने चलाया प्रशिक्षण सह जागरूकता कार्यक्रम

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साइबर अपराध पर रोक को लेकर डालसा ने चलाया प्रशिक्षण सह जागरूकता कार्यक्रम


साइबर अपराध पर रोक को लेकर डालसा ने चलाया प्रशिक्षण सह जागरूकता कार्यक्रम


दुमका, 14 जुलाई (हि.स.)। जिला विधिक सेवा प्राधिकार की ओर से न्याय सदन में रविवार को साइबर हेल्पलाइन नंबर 1930 के संबंध में प्रशिक्षण सह जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जागरूकता कार्यक्रम झालसा, रांची के निर्देशानुसार आयोजित हुई।

कार्यक्रम मे मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी अनूप तिर्की ने साइबर क्राइम एवं साइबर हेल्पलाइन नंबर-1930 के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने बताया कि साइबर ठगी में पीड़ित किसी अज्ञानता या लालच के कारण ही होता है। हमें किसी लालच में नहीं आना चाहिए, झांसा में आकर ओटीपी, एटीएम कार्ड पिन नंबर की जानकारी किसी के साथ साझा नहीं करना चाहिए।

साइबर सेल के सब-इंस्पेक्टर राजीव रंजन ने बताया गया कि साइबर अपराध की गतिविधियां कई तरह की होती है। एक तरफ ऐसे अपराध है। इनमें व्यक्तिगत या कॉर्पोरेट गोपनीयता का उल्लंघन शामिल है। इंटरनेट का गलत उपयोग करके किए गए अपराध साइबर अपराध के रूप में जाना जाते हैं। आज इंटरनेट के द्वारा अनगिनत कार्य किए जाते हैं। जैसे ऑफिस के कार्य, ऑनलाइन शॉपिंग, ऑनलाइन पेमेंट आदि है।

उन्होंने बताया कि अगर कोई व्यक्ति अगर साइबर ठगी का शिकार हो जाता है, तो वे तुरंत साइबर क्राइम के नेशनल वेबसाइट पर लॉगिन कर शिकायत दर्ज करा सकते है या फिर हेल्पलाइन नंबर 1930 पर कॉल कर सकते है। हेल्पलाईन नंबर1930 नंबर से पोर्टल के द्वारा उस अकाउंट को स्वतः होल्ड कर दिया जाता है। जिस अकाउंट में आपके ठगी का पैसा गया है। उसके बाद तत्काल उसके आगे की कार्रवाई भी शुरू हो जाती है। साइबर ठगी के पीड़ित जितना जल्द 1930 नंबर पर कॉल करते हैं, ठगी के रकम वापसी की संभावना उतना ही जल्द बढ़ जाती है।

हिन्दुस्थान समाचार / नीरज कुमार

हिन्दुस्थान समाचार / नीरज कुमार / शारदा वन्दना

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