बाल विवाह मुक्त झारखंड के तहत डालसा ने जागरूकता शिविर का किया आयोजन

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बाल विवाह मुक्त झारखंड के तहत डालसा ने जागरूकता शिविर का किया आयोजन


बाल विवाह मुक्त झारखंड के तहत डालसा ने जागरूकता शिविर का किया आयोजन


रामगढ़, 4 दिसंबर (हि.स.)। झारखंड राज्य विधिक सेवा प्राधिकार के निर्देश पर रामगढ़ प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश मो तौफीकुल हसन के मार्गदर्शन में एवं जिला विधिक सेवा प्राधिकार के तत्वावधान में कोर्ट परिसर में बाल विवाह मुक्त झारखंड पर विधिक जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया। इस दौरान किशोरियों के आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक अधिकार पर लोगों को जानकारी दी गई।

डालसा के सचिव अनिल कुमार, समाज कल्याण पदाधिकारी इंदू प्रभा खालको, एलएडीसी अध्यक्ष सुजीत कुमार सिंह, उपाध्यक्ष श्रीराम, सहायक अभिनव कुमार एवं मोहन महतो के द्वारा लोगों को जानकारी दी गई। जागरूकता शिविर में कई विषयों पर चर्चा हुई। मुख्य रूप से किशोरियों के आर्थिक, सामाजिक, राजनीति अधिकार, बाल विवाह, घरेलू हिंसा, डायन प्रथा, पोक्सो एक्ट के बारे में बताया गया।

डालसा सचिव ने पोक्सो अधिनियम के बारे में बताया कि इस अधिनियम का शिकार मुख्य रूप से बच्चियां ही होती हैं। बच्चियों को गुड टच एवं बैड टच के बारे में बताना बेहद जरूरी है। अभिभावकों, शिक्षकों एवं समाज कल्याण के लिए काम कर रहे लोगों को इस बारे में छोटे बच्चों को जरूर बताना चाहिए। अगर किसी बच्चे को उसके सहपाठी या सगे संबंधी या अन्य कोई व्यक्ति के द्वारा ऐसा कुछ बर्ताव किया जाता है, तो उसे मामले में तत्काल निकटतम थाने में सूचना देनी चाहिए। पोक्सो अधिनियम यौन हिंसा के लिए कानून बनाया गया है। आप बेहिचक होकर इसका इस्तेमाल कर सकते हैं।

इस दौरान मौजूद लोगों के सवालों के भी जवाब दिए गए। साथ ही बताया गया कि पोक्सो अधिनियम को लेकर पीड़ितों को मुआवजे का भी अधिकार है। सुजीत कुमार सिंह ने कहा कि कोई भी पुलिस कर्मी शाम 6:00 बजे के बाद और सूर्योदय से पहले किसी भी महिला को गिरफ्तार नहीं कर सकते हैं। विषम परिस्थितियों को छोड़कर महिलाओं को पूरी छोड़ दी गई है। किसी भी प्रकार की दुर्घटना का आवेदन देने आई महिला को थाने में महिला पुलिसकर्मी ही अटेंड कर सकती है। अगर महिला पुलिस कर्मी उसकी बात नहीं सुनती है तो सीधे एसपी के पास वह जा सकती है।

एलएडीसी के अध्यक्ष ने डिस्टेंस वारंट के बारे में भी लोगों को जानकारी दी। साथ ही न्यायालय के आदेश के बाद विपक्षी अगर भरण पोषण की राशि नहीं देता है तो डिस्टेंस वारंट निर्गत होता है। जिसके बाद विपक्षी को जेल भी जाना पड़ सकता है। इसके अलावा घरेलू हिंसा के बारे में भी लोगों को जानकारी दी गई। इस शिविर में समाज कल्याण विभाग के सदस्य, आंगनबाड़ी सेविकाएं एवं जिला विधिक सेवा प्राधिकार के पारा लीगल वॉलिंटियर्स मौजूद थे।

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हिन्दुस्थान समाचार / अमितेश प्रकाश

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