समाज में आदिवासियों का योगदान और उनके अधिकारों की रक्षा बेहद जरूरी: अजय कुमार
रामगढ़, 9 अगस्त (हि.स.)। समाज में आदिवासियों का योगदान बेहद महत्वपूर्ण रहा है। प्रकृति के साथ इनका जुड़ाव ही उनकी आत्मा है। यही वजह है कि इनके अधिकारों की रक्षा भी बेहद महत्वपूर्ण है। यह बातें विश्व आदिवासी दिवस पर शुक्रवार को रामगढ़ शहर के लायंस क्लब में आयोजित कार्यक्रम में रामगढ़ एसपी अजय कुमार ने कही। उन्होंने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय आदिवासी दिवस के तौर पर हम आज आदिवासियों के द्वारा किए गए कार्यों और उनकी रक्षा की बात कर रहे हैं। इसी वजह से इस वर्ष का थीम भी 'स्वैच्छिक अलगाव और प्रारंभिक संपर्क में आदिवासी लोगों के अधिकारों की रक्षा' है। यह दिन उनके योगदान और उनके अधिकारों की सुरक्षा के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए मनाया जाता है। क्योंकि आदिवासी समुदाय को वैश्विक आबादी के सबसे कमजोर वर्गों में से एक माना जाता है।
एसपी ने कहा कि दुनिया में 200 समूह ऐसे हैं जो स्वैच्छिक अलगाव और प्रारंभिक संपर्क के बिना रहते हैं। वे मुख्य रूप से सुदूर वन क्षेत्रों में रहते हैं जो खनिजों और अन्य प्राकृतिक संसाधनों से समृद्ध हैं। यहां स्वैच्छिक अलगाव का मतलब है कि वे अपनी अलग सांस्कृतिक और जातीय पहचान बनाए रखने के लिए मुख्यधारा की आबादी के साथ घुलना-मिलना पसंद नहीं करते हैं। उनकी संस्कृति की एक विशिष्ट विशेषता है। वे जंगल और पारिस्थितिकी के सबसे अच्छे संरक्षक हैं।
कृषि और खनन से वन क्षेत्र का हो रहा नुकसान : फागू बेसरा
आदिवासियों के प्रमुख नेता के तौर पर मौजूद जेएमएम के केंद्रीय महासचिव फागू बेसरा ने कहा कि कृषि और खनन से वन क्षेत्र को नुकसान हो रहा है। कृषि, खनन आदि के विकास के कारण उनके क्षेत्र में वनों की कटाई बढ़ गई है। जिससे उनकी आजीविका और उनकी विशिष्ट संस्कृति को खतरा है। सरकार अलग-अलग स्थान पर रह रहे आदिवासियों और उनके संस्कृति की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। झारखंड एक ऐसा प्रदेश है जहां आदिवासियों को पूरी सुरक्षा देने के लिए सरकार कानून बना चुकी है। कार्यक्रम में आदिवासियों के कई नेता शामिल हुए।
हिन्दुस्थान समाचार / अमितेश प्रकाश / शारदा वन्दना
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