छतरपुर अनुमंडल अस्पताल के सरकारी डाक्टर जमशेदपुर में करते हैं निजी प्रैक्टिस
पलामू, 16 मई (हि.स.)। पलामू के छतरपुर अनुमंडल अस्पताल में पदस्थापित डॉ. मृत्युंजय कुमार मुख्यालय छोड़कर 300 किलोमीटर दूर जमशेदपुर तक रोगी देखने पहुंच जाते हैं। बताया जाता है कि वह आदित्यपुर में एक मेडिकल स्टोर में खुले रूप में निजी प्रैक्टिस भी करते हैं। यह मामला स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता और स्वास्थ्य सचिव तक भी पहुंचा है, जिसकी जांच चल रही है। डॉ. मृत्युंजय कुमार जमशेदपुर आईएमए के पूर्व सचिव भी रह चुके हैं।
बताया जाता है कि वर्तमान में पलामू में पदस्थापित रहने के बावजूद उन्होंने जमशेदपुर में आईएमए का चुनाव बिना विधिवत अनुमति लिए लड़ा और उपाध्यक्ष भी चुने गये। छतरपुर अनुमंडल अस्पताल में पदस्थापित डॉ. कुमार जमशेदपुर में आईएमए के कार्य कैसे करेंगे। यह सवाल यहां के डॉक्टर दबी जुबान से उठाते रहे हैं। यह भी कहा जाता है कि आईएमए की धमक दिखाकर ही डॉ. कुमार पलामू में ड्यूटी से गायब रहकर आदित्यपुर के एक मेडिकल स्टोर में निजी प्रैक्टिस कर रहे होते हैं।
नियम के अनुसार किसी भी सरकारी डॉक्टर को पदस्थापन स्थल से मुख्यालय छोड़ने के लिए विधिवत अनुमति लेनी होती है। विभाग को यह शिकायत की गयी है कि डॉ. कुमार बिना मान्य अनुमति के ही कई-कई दिनों तक मुख्यालय से बाहर रहते है और उन्हें जमशेदपुर में निजी प्रैक्टिस करते देखा जा सकता है। इसके लिए उनके ड्यूटी रोस्टर और बायोमीट्रिक उपस्थिति की जांच करने की मांग की गयी है।
यह मामला को पलामू डीसी के अलावा स्वास्थ्य मंत्री को भी भेजा गया है। इसमें अलग-अलग मेडिकल पर्ची भेजकर अलग-अलग दिनों में ड्यूटी रोस्टर के जांच की मांग की गयी है कि उस दिन डॉ. कुमार जमशेदपुर में जांच कर रहे थे तो उनकी ड्यूटी कहां थी? अगर वह ड्यूटी में थे तो जमशेदपुर वह कैसे जांच कर रहे थे? कई पर्चियों में तारीख ही नहीं डाली गयी है। यह पूरे मामले को संदेहापस्द बना रही है।
बताया जाता है कि डॉ. कुमार ने सरकार के खर्च पर एनेस्थीसिया की ट्रेनिंग ली है। इसके लिए सरकारी भत्ता तो उन्होंने उठाया है, लेकिन कभी उनकी ट्रेनिंग का लाभ मरीजों को नहीं मिल सका है। बताया जाता है कि बोकारो सदर अस्पताल में पदस्थापना के दौरान भी डॉ. कुमार पर सेवा अवधि में जमशेदपुर आकर निजी प्रैक्ट्रिस करने के आरोप लगते रहे हैं, लेकिन उनके राजनीतिक व सामाजिक प्रभाव और आईएमए से जुड़ाव के कारण हर बार मामले को दबा दिया जाता है।
पलामू के सिविल डा. अनिल कुमार ने गुरूवार को बताया कि डा. कुमार के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की तैयारी की गयी है। इसके लिए लिखा जा रहा है। स्पष्टीकरण उन्हें पूर्व में पूछा गया था, बावजूद उनमें कोई सुधार नहीं हुआ। वेतन भी दो माह से बंद किया गया है।
हिन्दुस्थान समाचार/दिलीप
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