सेंट्रल जेल के बन्दियों को दी गई तीन नए आपराधिक कानून की जानकारी

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सेंट्रल जेल के बन्दियों को दी गई तीन नए आपराधिक कानून की जानकारी


पलामू, 1 जुलाई (हि.स.)। जेल आईजी के निर्देश पर केंद्रीय कारा मेदिनीनगर में सोमवार को पहली जुलाई से लागू हो रहे तीन नए आपराधिक कानून को लेकर बन्दियों को जानकारी दी गई। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जिला विधिक सेवा प्राधिकार के सचिव अर्पित श्रीवास्तव ने लीगल एड डिफेंस काऊंसिल के अधिवक्ताओं के साथ कानून की बारीकियों की जानकारी दी।

उन्होंने कहा कि न्याय को सुलभ बनाने व जल्द से जल्द न्याय लोगों को मिल सके, इसलिए पुराने कानून को बदलकर नए कानून लागू किये गए हैं। उन्होंने कहा कि देश में अंग्रेज के जमाने का कानून था। इसमें काफी बदलाव की जरूरत था, क्योंकि अब नई टेक्नोलॉजी आ गई है। बर्तमान समय में टेक्नोलॉजी की क्रांति आई है।

उन्होंने कहा कि अब जीरो एफआईआर का प्रावधान किया गया है। साथ ही एफआईआर ऑनलाइन दर्ज करने का भी प्रावधान है। उन्होंने कहा कि कम्प्लेन केस में पहले शिकायतकर्ता कोर्ट में आता था। दो तीन गवाह लाता था। अभियुक्त को बिना सुने न्यायालय के द्वारा मुदालय पर सम्मन निर्गत हो जाता था, लेकिन नए कानून में अब मुदालय का भी पक्ष सुना जाएगा व अदालत को लगेगा कि यह केस में आगे बढ़ना है तभी बढ़ा जाएगा। अन्यथा केस वही समाप्त कर दिया जाएगा।

उन्होंने कहा कि नए कानून के तहत एक व्यक्ति सशरीर पुलिस स्टेशन में उपस्थित हुए बगैर भी इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से घटना की रिपोर्ट कर सकता है। उन्होंने कहा कि नए कानून में जीरो एफआईआर की शुरुआत की गई है। पीड़ित किसी भी थाना में अपनी एफआईआर दर्ज करा सकता है। पीड़ित को एफआईआर की निःशुल्क कॉपी भी मिलेगी। उन्होंने कहा कि सशक्त जांच के लिए गंभीर आपराधिक मामलों में सबूत जुटाने के लिए क्राइम सीन पर फॉरेंसिक विशेषज्ञों का जाना अनिवार्य है। उन्होंने कहा कि सबूत एकत्र करने की प्रक्रिया की वीडियो ग्राफी अनिवार्य होगी। उन्होंने कहा कि गवाहों की सुरक्षा व सहयोग के लिए विटनेस प्रोटेक्शन प्रोग्राम लागू किए जाने का प्रावधान है।

मौके पर एलएडीसी के चीफ अमिताभ चंद सिंह ने कहा कि नए कानून में तलाशी और जब्ती की ऑडियो वीडीओ माध्यम से रिकॉर्ड किया जाएगा, जिसमंे जब्ती सूची तैयार करने की रिकॉर्डिंग भी शामिल है।

एलएडीसी के डिप्टी चीफ संतोष कुमार पांडेय ने कहा कि नए कानून में मामूली अपराधों के लिए दंड स्वरूप सामुदायिक सेवा की विधान शुरू किया गया है। इससे समाज के लिए सकारात्मक योगदान देकर दोषी अपनी गलतियों को सुधारने का काम करेगा।

हिन्दुस्थान समाचार/दिलीप

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