अपने कुकृत्यों से पतनशील झारखंड सरकार दोषारोपण करती है विपक्ष पर: बाबूलाल मरांडी

अपने कुकृत्यों से पतनशील झारखंड सरकार दोषारोपण करती है विपक्ष पर: बाबूलाल मरांडी
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अपने कुकृत्यों से पतनशील झारखंड सरकार दोषारोपण करती है विपक्ष पर: बाबूलाल मरांडी


पलामू, 5 जनवरी (हि.स.)। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने कहा कि झारखंड में राज्य सरकार द्वारा कानून और व्यवस्था को संरक्षित किए जाने से आपराधिक तत्वों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई नहीं हो पा रही है। बाबूलाल शुक्रवार को मेदिनीनगर के परिसदन में पत्रकारों से अनौपचारिक बातचीत कर रहे थे।

उन्होंने बताया कि कारागृह से प्रधान संपादक आशुतोष चतुर्वेदी को धमकी दिया जाना यह जाहिर करता है कि इस कृत्य में मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन का सीधा हाथ है। आरोपी योगेन्द्र तिवारी का सोरेन परिवार से मधुर रिश्ता है, यह बात दुमका के लोग शुरू से जानते हैं। यह आरोपी जेल में है।

मरांडी ने कहा कि मौजूदा सरकार में दलाल, बिचौलिये और भ्रष्टाचारियों की पौ-बारह है, जिनको नियंत्रित करने की इच्छा शक्ति हेमंत सोरेन में नहीं है, क्योंकि इन सभी में सीएम एवं उसके गिरोह के लोग संलिप्त है। धनबाद में व्हाट्सएप्प के जरिए व्यापारियों को रंगदारी टैक्स देने के लिए धमकी दी जाती है और शासन-प्रशासन को इसकी चिंता नहीं है, जो दयनीय हालात के लिए जिम्मेदार है ।

एक सवाल के जवाब में मरांडी ने बताया कि अपनी जगह हेमन्त सोरेन अपनी पत्नी कल्पना सोरेन को मुख्यमंत्री बनाने की योजना को अंजाम देने की कोशिश में हैं, जो सजायाफ्ता लालू प्रसाद से प्रेरित है, जिन्होंने अपनी पत्नी राबङ़ी देवी को बिहार का मुख्यमंत्री बनाए थे।

इस संदर्भ में मरांडी ने राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन को पत्र लिख कर ध्यान खींचा है कि विधानसभा चुनाव के चुनाव होने में एक वर्ष से कम समय रह गया है तथा महाराष्ट्र उच्च न्यायालय के एक विधायक के बाबत रिक्त विधानसभा क्षेत्र में चुनाव पर रोक इसलिए लगा दी गयी है कि उस राज्य में विधानसभा चुनाव की अवधि एक साल से कम रह गयी है, ऐसे में इन बिन्दुओं पर गंभीरता से विचार कर लेंगे, अन्यथा गंभीर संवैधानिक स्थिति उत्पन्न हो जाएगी।

विकास की चर्चा करते हुए मरांडी ने कहा कि झारखंड मुक्ति मोर्चा के सरकार में केवल लफ्फाजी की राजनीति हो रही है। उन्होंने बताया कि बेरोजगारी भत्ता देने के वादे इसने किये थे और चार साल से अधिक होने जा रहे हैं, किसी को भत्ता नहीं मिला। यही नहीं, मुख्यमंत्री ने केन्द्रीय सरकार द्वारा दी गयी जनजाति कल्याण की राशि का पैसा अभी तक उपयोग नहीं किया, जो आदिवासी समाज के हित में था। ये सब इस सरकार के लुंजपूंज हालात को जाहिर करने के लिए काफी है।

दूसरे सवाल के जवाब में मरांडी ने कहा कि केन्द्र सरकार पर भयादोहन (ब्लैकमेल) करने एवं अस्थिरता उत्पन्न करने का आरोप बेमानी है। खुद हेमन्त सोरेन अकर्मण्यता के शिकार हैं और भ्रष्टाचार को संरक्षण देने के दोषी हैं। यह सरकार अपने कुकृत्यों के कारण खुद पतनशील है और दोषारोपण विपक्ष पर करती है। हेमंत सोरेन होटवार (जेल) जाने के लिए तैयार रहें, जैसी करनी-वैसी भरनी वाली कहावत इन पर फिट बैठती है।

उन्होंने बताया कि किसी सरकार के लिए प्रथम कर्तव्य कानून व व्यवस्था को ठीक करने की होती है, द्वितीय भ्रष्टाचार के उन्मूलन पर ध्यान केन्द्रित करना होता है और तृतीय आधारभूत (इन्फ्रांस्ट्रकचर) दुरुस्त करना है, तभी विकास संभव है। उन्होंने बताया कि उक्त तीनों पैमाने पर मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन की सरकार विफल है। इसके लिए विपक्ष झारखंड में कतई जिम्मेदार नहीं है।

मरांडी ने सवाल किया कि ‘आखिर सरफराज अहमद ने क्या सोच कर इस्तीफा दिया? इस रहस्य से पर्दा उठना चाहिए।’ इस त्याग पत्र के नेपथ्य में हेमन्त सोरेन का ‘डर’ छिपा है, इसलिए नाटकबाजी यह सरकार कर रही है।

तीसरे प्रश्न के उत्तर में मरांडी ने कहा कि लोकसभा के साथ विधानसभा के चुनाव होने की संभावना नहीं है। राज्य में मौजूदा सांसदों को पुनः टिकट दिए जाने और नहीं दिए जाने का मसला पार्टी हाईकमान पर है, इससे प्रादेशिक पार्टी को कोई लेना-देना नहीं है।

हिन्दुस्थान समाचार/ दिलीप

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