वंदे मातरम भारत की आत्मा है, विभाजन का प्रतीक नहीं- गौरव

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वंदे मातरम भारत की आत्मा है, विभाजन का प्रतीक नहीं- गौरव


जम्मू, 5 नवंबर (हि.स.)। भाजपा जम्मू-कश्मीर प्रवक्ता गौरव गुप्ता ने मुत्तहिदा मजलिस-ए-उलेमा (एमएमयू) द्वारा शैक्षणिक संस्थानों में वंदे मातरम की 150वीं वर्षगांठ मनाने के सरकार के निर्देश का विरोध करने वाले हालिया बयान की कड़ी निंदा की और उनकी आपत्ति को दुर्भाग्यपूर्ण, अनुचित और राष्ट्रीय भावना का अनादर करने वाला बताया।

गुप्ता ने ज़ोर देकर कहा कि वंदे मातरम केवल एक गीत नहीं है बल्कि भारत की एकता, संस्कृति और स्वतंत्रता संग्राम की एक पवित्र अभिव्यक्ति है जिसने अनगिनत क्रांतिकारियों को राष्ट्र के लिए अपने प्राणों की आहुति देने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि भारत का प्रत्येक नागरिक चाहे वह किसी भी धर्म का हो मातृभूमि के प्रति सम्मान का ऋणी है। वंदे मातरम गाना या मनाना धर्म से जुड़ा नहीं है, बल्कि देशभक्ति से जुड़ा है। एमएमयू के बयान को देशभक्ति का राजनीतिकरण करने का प्रयास बताते हुए गुप्ता ने कहा कि यह बेहद निराशाजनक है कि कुछ निहित स्वार्थी तत्व राष्ट्रीय प्रतीकों को धर्म के चश्मे से देखना जारी रखते हैं। उन्होंने आगे कहा कि यह गीत उस भूमि का महिमामंडन करता है जो हमें जीवन देती है - हमारी भारत माता। यह कृतज्ञता का प्रतीक है, न कि पूजा का, और प्रत्येक भारतीय को इस पर गर्व होना चाहिए।

उन्होंने आगे कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 'एक भारत, श्रेष्ठ भारत' का दृष्टिकोण सभी धर्मों के सम्मान पर ज़ोर देता है और नागरिकों को राष्ट्र-प्रथम की साझा भावना के तहत एकजुट करता है। उन्होंने कहा कि कोई भी विचारधारा, चाहे कितनी भी कठोर क्यों न हो, भारत के विचार से ऊपर नहीं खड़ी हो सकती।

गुप्ता ने सभी शैक्षणिक संस्थानों से वंदे मातरम की 150वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में गर्व से भाग लेने और छात्रों को राष्ट्रीय गौरव, एकता और समावेशिता का सही अर्थ सिखाने का आग्रह किया।

हिन्दुस्थान समाचार / रमेश गुप्ता

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