एनआईटी श्रीनगर में 'राजभाषा जागरूकता' पर दो दिवसीय कार्यशाला शुरू हुई
जम्मू, 25 जून (हि.स.)। प्रशासनिक कार्यों में राजभाषा के प्रयोग पर दो दिवसीय जागरूकता कार्यशाला मंगलवार को राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी) श्रीनगर में शुरू हुई। जगदीश राम पौड़ी, निदेशक राजभाषा, शिक्षा मंत्रालय भारत सरकार कार्यशाला के मुख्य संसाधन व्यक्ति थे। उन्होंने राजभाषा विभाग द्वार जारी वार्षिक कार्य 2024-25 के संबंध में विचार विमर्श तथा राजभाषा से संबंधित समस्याएं एवं समाधान पर अपना मुख्य भाषण दिया। उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता एनआईटी श्रीनगर के रजिस्ट्रार प्रो. अतीकुर रहमान ने की, जो कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे।
अपने मुख्य भाषण में, जगदीश राम पौड़ी ने कहा कि केंद्र सरकार ने राजभाषा के रूप में हिंदी के उपयोग और प्रचार को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न कदम उठाए हैं, साथ ही देश में भाषाओं की विविधता को मान्यता और समर्थन भी दिया है। उन्होंने उल्लेख किया कि 14 सितंबर, 1949 को, संविधान सभा ने देवनागरी लिपि में हिंदी को भारतीय संघ की आधिकारिक भाषा के रूप में अपनाया। राजभाषा निदेशक ने कहा, हिंदी वह भाषा है जो वास्तव में हमारी संस्कृति का प्रतिनिधित्व करती है और हमें भारतीयों के रूप में खुद को स्पष्ट रूप से व्यक्त करने की अनुमति देती है। उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 और इसके विभिन्न मापदंडों का भी उल्लेख किया। उन्होंने एनआईटी प्रशासन को राजभाषा प्रकोष्ठ में रिक्त पदों को भरने और इस संबंध में कुछ ठोस कदम उठाने के निर्देश दिए।
इस अवसर पर रजिस्ट्रार एनआईटी श्रीनगर प्रो. अतीकुर रहमान ने प्रशासनिक कार्यों में राजभाषा को लागू करने के लिए राजभाषा प्रकोष्ठ के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने राजभाषा पर संसद की प्रथम उप-समिति द्वारा निर्धारित लक्ष्य को प्राप्त करने में अपना पूर्ण सहयोग देने के लिए जगदीश राम पौड़ी के प्रति भी आभार व्यक्त किया, ताकि प्रशासन में हिंदी का अधिकाधिक प्रयोग सुनिश्चित किया जा सके।
हिन्दुस्थान समाचार/राहुल/बलवान
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