ईऔडब्ल्यू ने वरिष्ठ राजस्व अधिकारियों से जुड़े हाई-प्रोफाइल भूमि धोखाधड़ी मामले में चार्जशीट दायर की
श्रीनगर, 21 दिसंबर (हि.स.)। क्राइम ब्रांच कश्मीर की इकोनॉमिक ऑफेंस विंग ने चार वरिष्ठ राजस्व अधिकारियों और एक निजी व्यक्ति से जुड़े एक हाई-प्रोफाइल भूमि धोखाधड़ी मामले में चार्जशीट दायर की है। चार्जशीट एफआईआर संख्या 08/2021 में श्रीनगर के विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निरोधक न्यायालय में प्रस्तुत की गई है।
अधिकारियों के अनुसार, यह मामला रणबीर दंड संहिता (आरपीसी) की धारा 420, 467, 468, 471 और 120-बी के तहत भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 5(2) के साथ पढ़ा गया है। चार्जशीट में पांच आरोपियों के नाम शामिल हैं जिनमें चार राजस्व अधिकारी भी शामिल हैं जो उस समय श्रीनगर जिले में तैनात थे।
आरोपियों की पहचान नुसरत अजीज तत्कालीन तहसीलदार सेटलमेंट श्रीनगर; शाहबाज बोधा, तत्कालीन तहसीलदार दक्षिण श्रीनगर; मोहम्मद यासीन कल्ला तत्कालीन पटवारी एस्टेट बलहामा; आशिक अली तत्कालीन पटवारी सेटलमेंट, श्रीनगर; और रियाज अहमद भट नौगाम श्रीनगर के निवासी के रूप में हुई है।
यह मामला खरीदारों द्वारा दायर एक शिकायत से शुरू हुआ जिन्होंने आरोप लगाया कि उन्होंने श्रीनगर के बलहामा में स्थित 01 कनाल और 07 मरला प्रत्येक के दो भूखंड साथ ही अतिरिक्त 14 मरला जमीन कानूनी रूप से खरीदी थी। जमीन रियाज अहमद भट द्वारा निष्पादित पंजीकृत बिक्री विलेखों के माध्यम से खरीदी गई थी और कब्जा विधिवत सौंप दिया गया था। रेवेन्यू म्यूटेशन नंबर 121, 122 और 67 भी शिकायतकर्ताओं के पक्ष में कानूनी तौर पर अटेस्ट किए गए थे।
हालांकि जांच के दौरान यह सामने आया कि आरोपी विक्रेता ने संबंधित रेवेन्यू अधिकारियों के साथ मिलकर आपराधिक साजिश रची और कथित तौर पर सरकारी रिकॉर्ड में हेरफेर करके वैध म्यूटेशन को अवैध रूप से रद्द कर दिया। इस धोखेबाज़ी वाली कार्रवाई के कारण विक्रेता के पक्ष में मालिकाना हक बहाल हो गया जिससे वह उसी ज़मीन को दूसरे पक्षों को दोबारा बेच सका। जांचकर्ताओं ने कहा कि इससे मूल खरीदारों को गलत नुकसान हुआ और आरोपी को उसी के हिसाब से गैर-कानूनी फायदा हुआ।
जांच में यह भी पता चला कि ज़मीन के दलाल रियाज़ अहमद भट के पक्ष में पुराने दस्तावेज़ों पर बेसिक म्यूटेशन अटेस्ट किए गए थे। खास बात यह है कि यह उस समय किया गया था जब संबंधित रेवेन्यू अधिकारी संबंधित तहसील या एस्टेट के अधिकार क्षेत्र में तैनात भी नहीं थे जिससे सरकारी पद के दुरुपयोग और प्रक्रियात्मक उल्लंघनों के बारे में गंभीर सवाल उठते हैं।
अधिकारियों ने कहा कि जांच में महत्वपूर्ण दस्तावेजी और आधिकारिक सबूत मिले हैं जो संज्ञेय अपराधों के होने की पुष्टि करते हैं। इकट्ठा किए गए सबूतों के आधार पर आर्थिक अपराध विंग ने यह निष्कर्ष निकाला कि सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग करके शिकायतकर्ताओं को धोखा देने के लिए एक सुनियोजित साजिश रची गई थी। अब चार्जशीट श्रीनगर के स्पेशल जज एंटी-करप्शन के सामने न्यायिक फैसले के लिए दायर की गई है।
हिन्दुस्थान समाचार / बलवान सिंह

