नगर परिषद भंग होते ही बिगड़ गई कठुआ शहर की सूरत, अधिकतर वार्डो की गलियों नालियों की हालत खस्ता
कठुआ, 16 अगस्त (हि.स.)। बरसात के मौसम में कठुआ शहर की मुख्य सड़कें और सभी वार्डों की गलियों और नालियों की हालत बद से बदतर हो चुकी है। जिसकी सुध लेने वाला कोई नहीं है। एक तरफ जिला प्रशासन द्वारा शहर के विकास को लेकर आए दिन बड़ी-बड़ी बैठके की जाती है और इन बैठकों में विभिन्न परियोजनाओं के ताहत शहर के विकास के लिए फंड भी जारी किया जा रहा है, लेकिन यह विकास मात्र बैठकों तक ही सीमित रह गया है। जमीनी स्तर पर विकास कहीं भी नहीं दिख रहा है।
कठुआ शहर के मुख्य मार्ग काली बड़ी और हटली मोड से कठुआ की तरफ़ जाने वाली सड़कें क्षतिग्रस्त हो चुके हैं। बड़े बड़े गड्ढों और सड़क के बीचों-बीच बैठक मवेशियों की वजह से आए दिन हादसे हो रहे हैं। वहीं सड़क के दोनों तरफ लगी स्ट्रीट लाइटें भी आंखमिचौली खेल रही हैं। इसके अलावा शहीदी चौक से पारली बंड बाया अम्बेडकर ब्रिज वाला रास्ता पूरी तरह से क्षतिग्रस्त है, जगह जगह गड्ढे पड़े हुए हैं और इन गड्ढों में बरसात का पानी भरा हुआ है जो राहगीरों के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है। जिला उपायुक्त से लेकर निचले स्तर के अधिकारियों का इन्हीं मार्गों से रोज़ाना आना जाना होता है, लेकिन शायद उन्हें भी गाड़ी में बैठे हिचकोले महसूस नहीं होते हैं। कठुआ शहर के मात्र वार्ड नंबर एक को छोड़कर बाक़ी सभी वार्डों की सड़कें गलियों और नालियों की हालत ख़स्ता हो चुकी है। क्योंकि वार्ड़ नंबर एक में जिला उपायुक्त, एसएसपी कठुआ सहित अन्य अधिकारियों के रिहायशी सरकारी मकान हैं। वहीं वार्ड़ नम्बर दो जहाँ पर चौधरी लाल सिंह का निवास है उनकी गली भी टूटी हुई है। इसी प्रकार वार्ड नंबर 3, 4, 5 से लेकर वार्ड़ 21 तक सभी की हालत खस्ता है। इन गलियों से पैदल गुज़रना भी मुश्किल है। जिला सचिवालय से मात्र 200 मीटर की दूरी पर पटेल नगर और शिवा नगर की हालत भी खस्ता है। वैसे तो कठुआ के वॉर्ड नंबर 21 रिषी नगर, रामनगर कॉलोनी तो नगर परिषद के अधीन है लेकिन हालत देखकर इसकी गिनती पिछड़े इलाकों से कम नहीं है। इन वार्ड़ों में लोगों का घरों से निकलने वाले पानी की निकासी भी नहीं है। बारिश का पानी ख़ाली पड़े प्लॉटों में इकट्ठा हो रहा है, जिसकी वजह से मलेरिया जैसी बीमारियों का ख़तरा बढ़ जाएगा।
हालाँकि जिला उपायुक्त ने हाल ही में मलेरिया जैसी बीमारियों को लेकर संबंधित अधिकारियों को निर्देश भी जारी किए थे लेकिन व्यवस्था में सुधार नहीं है। जब तक गली नालियों की मरम्मत नहीं होती, गंदे पाने की उचित निकासी नहीं होती तब तक मलेरिया जैसी बीमारियों से निजात मिलने वाली नहीं है। वहीं जिला प्रशासन द्वारा स्वच्छता पखवाड़ा भी शुरू किया गया है, विभिन्न गतिविधियां आयोजित कर लोगों को जागरूक किया जा रहा है लेकिन उससे पहले जिला प्रशासन को शहर की हालत को सुधारना पड़ेगा। वही शहर की साफ-सफाई की जिम्मेदारी नगर परिषद की है, वे भी महीने में एक दो बार आक्रमणकारियों पर कार्रवाई करके अपनी उपस्थिति दर्ज करवाते हैं। इसी प्रकार अगर शहर की सुंदरता की बात करें तो कठुआ शहर के सभी पार्कों की हालत भी ख़स्ता है। वहीं नगर परिषद के पूर्व अध्यक्ष नरेश शर्मा ने कहा कि इस वक़्त नगर परिषद भंग हो चुकी है कोई भी अध्यक्ष नहीं है और न ही कोई पार्षद हैं। जब से नगर परिषद भंग हुई है, तब से शहर में कहीं भी विकास नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि यूटी प्रशासन को चाहिए कि जल्द से जल्द नगर परिषद के चुनाव करवाए जाएं। उन्होने बताया कि इस वक़्त नगर परिषद के चेयरमैन जिला उपायुक्त राकेश मिन्हास हैं और जब तक नगर परिषद के चुनाव नहीं होता है तब तक उन्हें चेयरमैन के नाते पूरे वार्ड़ों का दौरा कर स्थिति का जायजा लेना चाहिए। और लंबित पड़े विकास कार्यों को शुरू करवाएं।
हिन्दुस्थान समाचार
हिन्दुस्थान समाचार / सचिन खजूरिया / बलवान सिंह
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