शेख अब्दुल्ला की गलतियाँ अभी भी जम्मू-कश्मीर को परेशान करती हैं: विबोध

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शेख अब्दुल्ला की गलतियाँ अभी भी जम्मू-कश्मीर को परेशान करती हैं: विबोध


जम्मू, 6 दिसंबर (हि.स.)। भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व एमएलसी विबोध गुप्ता ने मंजाकोटे में एक सार्वजनिक सभा को संबोधित करते हुए कहा कि जम्मू-कश्मीर में दशकों तक देखी गई राजनीतिक और लोकतांत्रिक अस्थिरता के साथ-साथ लंबे वर्षों तक खून-खराबा शेख अब्दुल्ला की राजनीतिक भूलों, भ्रमित नीतियों और आत्म-केंद्रित फैसलों के कारण हुआ है जो अभी भी जम्मू-कश्मीर को परेशान करता है।

उन्होंने कहा कि शेख अब्दुल्ला के नीतिगत फैसलों ने जम्मू-कश्मीर को आर्थिक रूप से अलग-थलग और राजनीतिक रूप से अस्थिर बना दिया। हमारी सेना मजबूती से आगे बढ़ रही थी। जीत दिख रही थी। लेकिन एक राजनीतिक समझौते के कारण ऑपरेशन रुक गया और 1948 में समय से पहले युद्धविराम के जरिए हमारी जमीन का एक बड़ा हिस्सा पाकिस्तान के अवैध कब्जे में छोड़ दिया गया।

विबोध ने आगे तर्क दिया कि राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं और व्यक्तिगत हितों से प्रेरित होकर शेख अब्दुल्ला और प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू के आग्रह पर समय से पहले युद्धविराम की घोषणा की गई थी। उन्होंने दृढ़ता से कहा कि शेख अब्दुल्ला को डर था कि अगर मीरपुर, मुजफ्फराबाद और कोटली जैसे क्षेत्र जम्मू-कश्मीर के साथ बने रहते तो जम्मू के लोग राज्य के शासन में समान हितधारक बन जाते।

उन्होंने आरोप लगाया कि इससे नेशनल कांफ्रेंस के राजनीतिक प्रभुत्व को चुनौती मिलती। विबोध ने कहा कि संघर्ष विराम का सबसे ज्यादा नुकसान अनुसूचित जाति को हुआ।

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हिन्दुस्थान समाचार / रमेश गुप्ता

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