नटरंग ने जम्मू शहर के तीन स्थानों पर भ्रष्टाचार पर नाटक प्रस्तुत किये
जम्मू, 4 नवंबर (हि.स.)। नटरंग ने शनिवार को यहां जम्मू शहर के तीन स्थानों पर नीरज कांत द्वारा लिखित और निर्देशित हिंदी नाटक 'भ्रष्ट तंत्र' प्रस्तुत किया। जम्मू रेलवे स्टेशन, क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय, जम्मू और बाहु प्लाजा, जम्मू में आयोजित यह नाटक देश के भ्रष्ट प्रशासन पर युवाओं के नजरिए पर आधारित था। यह नाटक जम्मू-कश्मीर कला, संस्कृति और भाषा अकादमी द्वारा आयोजित सतर्कता सप्ताह-2023 के उपलक्ष्य में प्रदर्शित किया गया था।
नाटक की शुरुआत उस निराश युवा की आक्रामकता से हुई जो भ्रष्टाचार, घोटालों और बेईमानी की दूषित हवा में सांस ले रहा है। फिर वे इस भ्रष्टाचार के लिए आम लोगों को ज़िम्मेदार ठहराते हैं और कहते हैं कि भ्रष्टाचार अराजक तत्वों द्वारा फैलाया जाता है जिन्हें सत्ता में बैठे लोगों का संरक्षण मिलता है और इस लोकतंत्र में सत्ता स्थापित करने की पूरी जिम्मेदारी आम जनता की होती है। इस प्रकार इस भ्रष्ट व्यवस्था में सीधे तौर पर आम जनता की पूर्ण भागीदारी सुनिश्चित होती है। फिर बताया जाता है कि भ्रष्टाचार की शुरुआत कैसे होती है।
नाटक में एक सड़क पर फल बेचने वाला सिस्टम के भ्रष्ट रखवालों का शिकार बन जाता है और बाजारों में कीमतें बढ़ जाती हैं और इसका बोझ आम जनता पर पड़ता है। फिर भ्रष्टाचार के विभिन्न दुष्प्रभावों का उल्लेख करते हुए बताया गया है कि इसका आम लोगों और देश की प्रगति पर क्या प्रभाव पड़ता है। भ्रष्टाचार रोकने के लिए कोई सख्त नियम नहीं हैं। भ्रष्टाचारियों की हिम्मत दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है और घोटालों की संख्या भी।
एक अन्य दृश्य में बताया गया है कि रेल यात्रा के लिए आम यात्रियों को तत्काल टिकट उपलब्ध नहीं है। लेकिन अधिकारियों की मिलीभगत के कारण बिचौलिए कालाबाजारी करते हैं और टिकट खरीदकर ऊंचे दामों पर बेचकर मोटा मुनाफा कमाते हैं। इस धोखाधड़ी का शिकार यात्री सतर्कता बरतता है और सतर्कता विभाग को सूचित करता है और प्रभारी अधिकारी को गिरफ्तार करवाता है। इस तरह समस्या का समाधान भी मिल जाता है।
एक ओर जहां नेता चुनाव के दौरान उपहार बांटकर आम जनता को लुभा रहे हैं। इस सब में शामिल अधिकारी रिश्वत से मिले पैसे से अपने बेटे का कॉलेज में दाखिला कराता है। लेकिन उसका बेटा अपने पिता को सबक सिखाने के लिए अपने ही घर में चोरी कर लेता है। कोई भी पुलिस अधिकारी रिश्वत के बिना चोरी की रिपोर्ट दर्ज नहीं करता। इस प्रकार, उसे उस व्यक्ति के भाग्य का एहसास होता है जिसके पास रिश्वत के रूप में देने के लिए पैसे नहीं हैं। इस बात का एहसास होने पर पिता प्रतिज्ञा लेता है कि वह भविष्य में न तो रिश्वत लेगा और न ही देगा। और नाटक इस संदेश के साथ समाप्त होता है कि वे भ्रष्टाचार को ना कहेंगे और राष्ट्र के प्रति प्रतिबद्ध होंगे।
हिन्दुस्थान समाचार/राहुल/बलवान
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