राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन स्थापना के 22 वर्षों बाद नई ऊंचाइयों की ओर

WhatsApp Channel Join Now

जम्मू, 2 फ़रवरी (हि.स.)। भारत की प्राचीन और अमूल्य पांडुलिपियों को संरक्षित करने के उद्देश्य से वर्ष 2003 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा स्थापित राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन (एनएमएम) को एक नई दिशा मिल रही है। हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में यह मिशन कई राज्यों में ठप हो गया था और जहां संचालित हो भी रहा था, वहां इसकी गति अत्यंत धीमी थी। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण था स्थानीय निदेशकों की कमी, जिसका प्रभाव जम्मू-कश्मीर समेत अन्य राज्यों में भी देखने को मिला।

वर्ष 2016 से 2022 तक इस मिशन की प्रगति लगभग ठहराव पर रही, लेकिन जब मिशन को एक सक्रिय और परिश्रमी नेतृत्व मिला, तो इसमें मानो एक नई जान आ गई है। अब न केवल यह मिशन गति पकड़ चुका है बल्कि इसकी गूंज भारत के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सुनाई देने लगी है। मिशन की इस सफलता का श्रेय संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार और राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन के निदेशक को जाता है जिनके प्रयासों से अब न केवल हमारी सांस्कृतिक धरोहर को संजोने का कार्य तेजी से हो रहा है बल्कि कर्मचारियों को उनके वेतन का सीधा भुगतान भी सुनिश्चित किया जा रहा है।

ऐसे में कई विशेषज्ञों का मानना है कि 7 फरवरी 2003 को जब इस मिशन की नींव रखी गई थी उसे स्थापना दिवस के रूप में मनाने की परंपरा शुरू की जानी चाहिए। इससे न केवल इस मिशन की ऐतिहासिक उपलब्धियों को सम्मान मिलेगा, बल्कि सांस्कृतिक धरोहर संरक्षण की दिशा में कार्य करने वाले लोगों को भी नई प्रेरणा मिलेगी।

हिन्दुस्थान समाचार / राहुल शर्मा

Share this story