मूवमेंट कल्कि ने चुनावों में समझदारी से वोट देने की अपील

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मूवमेंट कल्कि ने चुनावों में समझदारी से वोट देने की अपील


जम्मू, 27 अगस्त (हि.स.)। मंगलवार को मूवमेंट कल्कि की ओर से आयोजित एक प्रेस वार्ता में कल्कि बोर्ड के सदस्य विक्रम महाजन ने चुनावों के दौरान नेताओं द्वारा लोगों को प्रलोभन देने के बढ़ते चलन पर गहरी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि पिछले 70-75 वर्षों में हमने जो गलतियां की हैं उनके परिणाम हम आज तक भुगत रहे हैं। उन्होंने जनता से अपील की कि इस बार चुनाव में समझदारी से निर्णय लें और स्वार्थी नेताओं को ना चुनें जो केवल अपने निजी स्वार्थ को ध्यान में रखकर समाज का नुकसान करते हैं।

महाजन ने कहा कि ये नेता चुनाव जीतने के बाद जनता को भूल जाते हैं और केवल अपनी कुर्सी और संपत्ति बढ़ाने में लग जाते हैं। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि समाज के अच्छे और सक्रिय लोगों को हाशिए पर रखकर निष्क्रिय करने की साजिशें होती हैं ताकि भ्रष्टाचार और स्वार्थी राजनीति का दबदबा बना रहे। महाजन ने इस बार जनता से आग्रह किया कि वे ऐसी गलतियां ना करें और राजनीतिक दलों से भी अपील की कि वे ऐसे नेताओं को टिकट दें जो समाज कल्याण के लिए समर्पित हों न कि स्वार्थी और भ्रष्ट लोगों को। उन्होंने महाराजा हरि सिंह जी के शासन की भी सराहना की और बताया कि कैसे उन्होंने जम्मू-कश्मीर के लोगों के लिए समानता के साथ कई सुधार किए थे।

विक्रम महाजन ने चुनाव आयोग से भी आग्रह किया कि वह राजनीतिक पार्टियों के एजेंडे और घोषणापत्रों पर कड़ी नजर रखे। उन्होंने कहा कि जो पार्टियां समाज और देश के हित में काम नहीं कर रहीं उनका पंजीकरण रद्द होनी चाहिए। महाजन ने नेशनल कॉन्फ्रेंस के घोषणापत्र को विभाजनकारी बताया और कहा कि इसमें धारा 370 और 35ए को वापस लाने की बात की गई है जो कि पूरी तरह गलत है। उन्होंने कहा कि 370 के हटने से पहले जम्मू-कश्मीर में कर्फ्यू, पत्थरबाजी, बंद स्कूल-कॉलेज, और आतंकवाद चरम पर था। 1990 में कश्मीरी पंडितों का पलायन भी इसी का परिणाम था जो नेशनल कांफ्रेंस सरकार की नाकामी थी। आज धारा 370 के हटने के बाद, कश्मीर में शांति है और लोग खुश हैं।

महाजन ने यह भी बताया कि नेशनल कॉन्फ्रेंस ने अपने घोषणापत्र में पब्लिक सेफ्टी एक्ट (पीएसए) को खत्म करने की बात कही है, जबकि यह एक्ट उन्हीं के नेताओं द्वारा बनाया गया था। पहले उन्होंने अपने राजनीतिक एजेंडे के लिए इसका उपयोग किया और अब जब केंद्र सरकार ने 370 हटाकर इसका सही उपयोग किया तो इन्हें तकलीफ हो रही है। इसके अलावा, शंकराचार्य मंदिर का नाम बदलकर 'तख्ते सुलेमानी' और हरी पर्वत का नाम 'कोह-ए-मरान' रखने की योजनाएं भी सरासर गलत हैं।

हिन्दुस्थान समाचार / राहुल शर्मा / बलवान सिंह

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