अपने घर से ही मातृभाषा का प्रचार-प्रसार करना चाहिए : बी.आर.शर्मा
जम्मू, 22 दिसंबर (हि.स.)। डोगरी संस्था जम्मू ने कुँवर वियोगी सभागार, डोगरी भवन, कर्ण नगर जम्मू में 'डोगरी मान्यता दिवस' मनाया। कार्यक्रम मे बी.आर. शर्मा (सेवानिवृत्त आईएएस), राज्य चुनाव आयुक्त, जम्मू और कश्मीर मुख्य अतिथि थे, रवि शंकर शर्मा (जेकेएएस), विशेष सचिव उच्च शिक्षा विभाग जम्मू और कश्मीर विशेष अतिथि थे और प्रोफेसर ललित मगोत्रा, अध्यक्ष डोगरी संस्था जम्मू ने समारोह की अध्यक्षता की।
समारोह के दौरान पिछले वर्ष के साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित प्रोफेसर वीणा गुप्ता, अनुवाद पुरस्कार के लिए डॉ. निर्मल विनोद और इस वर्ष के बाल साहित्य पुरस्कार से सम्मानित बलवान सिंह जमोडिया, युवा पुरस्कार के लिए धीरज बिस्मिल और वरिष्ठ डोगरी साहित्यकार पूरन चंद शर्मा, तारा चंद कलंदरिया शामिल , डॉ. बंसी लाल शर्मा, प्रख्यात अभिनेता अरविंद आनंद, निर्माता तथा निर्देशक सुदेश वर्मा और बांसुरी वादक राकेश आनंद को भी इस शुभ दिन पर स्मृति चिन्ह और शॉल देकर सम्मानित किया गया।
अपने संबोधन में मुख्य अतिथि बी.आर.शर्मा ने कहा कि हमें अपनी मातृभाषा की चिंता करनी चाहिए और अपने घर से ही इसका प्रचार-प्रसार करना चाहिए। अब समय आ गया है कि हमें अपनी भाषा और सांस्कृतिक परंपराओं के प्रति अपनी जिम्मेदारियों का एहसास होना चाहिए। विशिष्ट अतिथि के रूप में रवि शंकर शर्मा ने कहा कि यह एक विशेष दिन है जो हमें अपनी जड़ों के प्रति अपने कर्तव्यों का एहसास कराता है जो मातृभाषा से ही पोषित होती हैं, जबकि प्रो. ललित मगोत्रा ने पिछले कई वर्षों से डोगरी संस्था द्वारा डोगरी भाषा के संरक्षण और प्रचार के लिए डोगरी संस्था के योगदान को याद किया। उन्होंने इस विशेष दिन पर सभी डोगरो को हार्दिक शुभकामनाएं दीं और आशा व्यक्त की कि सभी डोगरों की सक्रिय भागीदारी से हमारी मातृभाषा फलेगी-फूलेगी। उन्होंने कहा की जितनी भी नियुक्तियां जम्मू कश्मीर में होती है उनमें डोगरी विषय को अनिवार्य किया जाए और सरकार ने जो नीति बनाई है कि हमने इसको आधिकारिक भाषा बनाया है। पर अगर दफ्तरों में काम डोगरी में नहीं होगा तो फिर डोगरी आधिकारिक भाषा कैसे बनेगी ? इसलिए जरूरी है कि जितने भी लोगों की नियुक्ति की जाए उन्होंने कम से कम डोगरी की एक परीक्षा पास की होनी चाहिए।
इस अवसर पर, एक संगीतमय शाम का भी आयोजन किया गया, जिसमें चिन्मय शर्मा, कुशा शर्मा और वंशिका जराल ने अशोक अंगुराना और ज्ञानेश्वर के गीतों को अपनी आवाज दी। वाद्य यंत्रों मे सिंथ पर सुनील शर्मा ,बांसुरी पर राकेश आनंद और ढोलक पर राजीव थे। संगीत की रचना केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के प्रमुख संगीतकार बृजमोहन ने की थी।
समारोह की कार्यवाही का संचालन प्रसिद्ध रंगकर्मीऔर कवि पवन वर्मा ने किया, जबकि धन्यवाद ज्ञापन डोगरी संस्था जम्मू के महासचिव राजेश्वर सिंह 'राजू' ने प्रस्तुत किया। समारोह में बड़ी संख्या में साहित्यकार एवं साहित्य प्रेमी शामिल हुए।
हिन्दुस्थान समाचार/राहुल
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