छात्रों के कोटा विरोध प्रदर्शन से पहले नजरबंद नेताओं में महबूबा मुफ्ती, रुहुल्ला मेहदी शामिल

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श्रीनगर, 28 दिसंबर(हि.स.)। जम्मू-कश्मीर में मौजूदा आरक्षण नीति के खिलाफ छात्रों के विरोध प्रदर्शन में शामिल होने से रोकने के लिए अधिकारियों ने रविवार को पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती और नेशनल कॉन्फ्रेंस के सांसद आगा सैयद रूहुल्ला मेहदी सहित कई नेताओं को घर में नजरबंद कर दिया।

अधिकारियों ने बताया कि महबूबा मुफ्ती उनकी बेटी इल्तिजा मुफ्ती श्रीनगर के सांसद रूहुल्लाह मेहदी, पीडीपी नेता वहीद पारा और श्रीनगर के पूर्व मेयर जुनैद मट्टू को नजरबंद कर दिया गया है।

यह कदम इन नेताओं द्वारा उन छात्रों के साथ एकजुटता व्यक्त करने के बाद आया जिन्होंने रविवार को गुपकर रोड पर शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन पर बैठने की योजना बनाई थी और मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला द्वारा इस मुद्दे को संबोधित करने के लिए एक समिति गठित करने के एक साल बाद, कोटा नीति को तर्कसंगत बनाने में देरी के खिलाफ आंदोलन में शामिल होने के अपने इरादे की घोषणा की थी।

घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए पारा ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि नेताओं को प्रदर्शनकारी छात्रों के साथ एकजुटता दिखाने से रोकने के लिए घर में नजरबंद कर दिया गया है। नेशनल कॉन्फ्रेंस के सांसद रूहुल्लाह मेहदी ने शनिवार रात एक्स पर एक पोस्ट में बताया कि उनके आवास के बाहर सशस्त्र पुलिस तैनात की गई है। क्या यह शांतिपूर्ण, छात्र-समर्थक प्रदर्शन को चुप कराने के लिए की गई कार्रवाई है ।

दूसरी ओर पारा ने जम्मू-कश्मीर में उमर अब्दुल्ला सरकार पर आरक्षण मुद्दे को हल करने के लिए शून्य इरादा दिखाने का आरोप लगाया और कहा कि मौजूदा कोटा नीति अस्तित्व का मामला बन गई है।शनिवार रात एक्स पर एक पोस्ट में उन्होंने कहा कि आरक्षण नीति एक अस्तित्वगत मुद्दा बन गई है जो हमारी युवा पीढ़ियों के भविष्य की नींव पर हमला करती है। एक साल से अधिक समय हो गया है जब हम छात्रों के साथ सीएम उमर अब्दुल्ला के आवास के बाहर इकट्ठे हुए थे। पारा ने एक्स पोस्ट में कहा कि दुर्भाग्य से इस पूरी अवधि के दौरान इस मुद्दे को हल करने के प्रति सरकार की ओर से बिल्कुल शून्य इरादा रहा है, जिसने हमारे युवाओं पर अनिश्चितता और चिंता को बढ़ा दिया है।

पुलवामा विधायक ने कहा कि कम से कम आरक्षण रिपोर्ट को सार्वजनिक डोमेन में रखा जाना चाहिए। पारा ने कहा कि उमर अब्दुल्ला द्वारा गठित कैबिनेट उप-समिति की रिपोर्ट को रोकने का कोई औचित्य नहीं था भले ही सिफारिशें अभी भी उपराज्यपाल की मंजूरी के लिए लंबित थीं।

हिन्दुस्थान समाचार / बलवान सिंह

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