भागवत कथा में सुनाया भगवान वामन अवतार प्रसंग
जम्मू, 7 मई (हि.स.)। गंग्याल के भगवान परशुराम मंदिर में चल रही संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा का मंगलवार को चौथा दिन रहा। कथावाचक शास्त्री जोगेंद्र जी महाराज ने भक्तों को भगवान वामन अवतार व समुद्र मंथन का प्रसंग सुनाया। उन्होंने बताया कि श्रीमद् भागवत कथा सुनने से मनुष्य के कई जन्मों के पापों का क्षय हो जाता है। हमें भागवत कथा सुनने के साथ साथ उसकी शिक्षाओं पर भी अमल करना चाहिए।
उन्होंने बताया कि वामन अवतार के रूप में भगवान विष्णु ने राजा बलि को यह शिक्षा दी कि दंभ और अंहकार से जीवन में कुछ भी हासिल नहीं होता और यह धन संपदा क्षण भंगुर होती है। इसलिए इस जीवन में परोपकार करो। उन्होंने बताया कि अहंकार, गर्व, घृणा और ईषर्या से मुक्त होने पर ही मनुष्य को ईश्वर की कृपा प्राप्त होती है। ईर्षालु व्यक्ति अपने जीवन में कभी तरक्की नहीं कर सकता। ऐसे व्यक्तियों को भगवान सूर्य, वायु, नदियों, बादलों व वृक्षों इत्यादि से प्रेरणा लेनी चाहिए। भगवान सूर्य बिना किसी भेदभाव के सृष्टि के सभी प्राणियों को अपना प्रकाश देते हैं। वायु सभी जीवों में प्राणों का संचार करती है। बादल परोपकार के लिए गरजते हुए वर्षा करते है, नदियां किसी से नहीं पूछती कि तुम मेरा जल क्यों पीते हो और वृक्ष भी किसी व्यक्ति से यह नहीं पूछते कि तुम मेरे फल क्यों तोड़ते हो, लेकिन स्वार्थी मानव ईर्षालु होता जा रहा है। यदि अपना उद्धार करना चाहते हो तो परोपकार में अपना जीवन लगाओ, जिससे तुम्हारा कल्याण होगा। ब्राह्मण सभा के सदस्यों के अलावा मंगलावर को गंग्याल व आस पास के सैकड़ों लोग कथा सुनने पहुंचे।
हिन्दुस्थान समाचार/राहुल/बलवान
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