उपराज्यपाल सिन्हा ने 10 दिवसीय वार्षिक झिड़ी मेले का किया उद्घाटन
जम्मू, 4 नवंबर (हि.स.)। जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने मंगलवार को जम्मू शहर के बाहरी इलाके में 10 दिवसीय वार्षिक झिड़ी मेले का उद्घाटन किया।
हर साल लगभग 10-12 लाख श्रद्धालु जिनमें मुख्य रूप से जम्मू क्षेत्र, पंजाब, हिमाचल प्रदेश और हरियाणा से बाबा जित्तो के बलिदान को याद करने के लिए इस मेले में आते हैं जिन्होंने लगभग 500 साल पहले एक जमींदार की दमनकारी मांगों के विरोध में अपने प्राण त्याग दिए थे।
उपराज्यपाल ने लोगों से निस्वार्थ सेवा का मार्ग अपनाने और 16वीं शताब्दी के किसान-संत बाबा जित्तो की परिकल्पना के अनुसार एक न्यायपूर्ण और समतावादी समाज के निर्माण की दिशा में काम करने का संकल्प लेने का आग्रह किया।
उपराज्यपाल ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि आज मैंने जम्मू के मढ़ उप-मंडल में वार्षिक झिड़ी मेले का उद्घाटन किया। बाबा जित्तो और बुआ कौडी को नमन किया। एक तीर्थयात्री सामुदायिक भवन और चार मॉड्यूलर बस स्टॉप समर्पित किए और मढ़ में सीएसआर के तहत पहले इनडोर खेल परिसर की आधारशिला रखी।
उन्होंने लोगों से बाबा जित्तो के समानता और सेवा के आदर्शों का पालन करने का आह्वान किया। उन्होंने आगे कहा कि हम सब मिलकर एक मजबूत, सुरक्षित, समृद्ध और आत्मनिर्भर जम्मू-कश्मीर का निर्माण कर सकते हैं। 4 से 13 नवंबर तक जिला प्रशासन के सहयोग से पर्यटन निदेशालय द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किए जा रहे इस मेले में भाग लेने के लिए जम्मू क्षेत्र, पंजाब, हिमाचल प्रदेश और हरियाणा से सैकड़ों किसान और तीर्थयात्री पहले ही पहुँच चुके हैं।
अधिकारियों ने बताया कि जम्मू नगर निगम (जेएमसी) के साथ-साथ कृषि और बागवानी विभागों ने स्वच्छता, स्वास्थ्य सुविधाओं, पार्किंग, बिजली और पानी की आपूर्ति व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए पूरा सहयोग दिया है। कृषि विभाग की भागीदारी किसानों के ज्ञान, प्रदर्शन और नई तकनीकों व सरकारी योजनाओं से जुड़ाव को बढ़ाने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच के रूप में भी काम करती है, साथ ही बाबा जित्तो की चिरस्थायी विरासत को श्रद्धांजलि भी अर्पित करती है। न्होंने बताया कि पुलिस और अर्धसैनिक बलों की तैनाती के साथ सुरक्षा कड़ी कर दी गई है।
किंवदंती के अनुसार एक विनम्र किसान बाबा जित्तो ने एक अन्यायी जमींदार के शोषण के विरुद्ध अपने प्राण त्याग दिए थे। बाद में उनकी बेटी, बुआ कौडी ने भक्ति और शोक में उनकी चिता पर आत्मदाह कर लिया था। अधिकारियों ने बताया कि भक्त मंदिर से लगभग चार किलोमीटर दूर स्थित एक प्राकृतिक तालाब, बाबा-दा-तालाब में भी पारंपरिक डुबकी लगाते हैं, जिसके बारे में माना जाता है कि इसमें उपचारात्मक शक्तियाँ हैं।
हिन्दुस्थान समाचार / बलवान सिंह

